Ghatshila (Rajesh Chowbey) : आनंदो भट्टाचार्य राष्ट्रीय स्तर के फुटबाॅल खिलाड़ी थे. इन्हें बेहतर खिलाड़ी होने के कारण हिन्दुस्तान काॅपर लिमिटेड में उपहार के रूप में नौकरी मिली. 18 वर्ष तक नौकरी भी की. इसके बाद कुछ अलग कर गुजरने की तमन्ना के कारण आनंदो भट्टाचार्य ने नौकरी से वीआरएस ले ली. उसके बाद ये खेती में जुट गए. 65 वर्षीय आनंदो भट्टाचार्य दाहीगोड़ा निवासी हैं. इस उम्र में लोग थककर बैठ जाते है. अपने को बुजुर्ग मानकर कुछ भी नया करने से परहेज करते हैं. इन सबसे हटकर आनंदो भट्टाचार्य ने कुछ अलग करने की ठानी. आनंदो भट्टाचार्य राष्ट्रीय स्तर के फुटबाॅल खिलाड़ी थे. ये किसी पहचान की मोहताज नहीं है.
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अब खेती पूरी तरह लहलहाने लगी है
इन्होंने घाटशिला प्रखंड के बड़ाजुड़ी पंचायत के पूर्णापानी- बांधडीह में 15 एकड़ बंजर भूमि खरीदी. उसके बाद लगातार जैविक खाद से उसे उपजाऊ बनाने का प्रयास करते रहे. अब धीरे-धीरे उक्त बंजर भूमि पर हरियाली दिखनी शुरू हो गयी है. भूमि पर 300 सिंगापुरी केला, 50 दशहरी आम तथा इतने ही उन्नत किस्म की प्रजाति के अफगान का अमरूद लगाया है. इसके अलावे अनारस की खेती भी शुरू की. हरी सब्जी में हर तरह की सब्जी लगाया है. अब खेती पूरी तरह लहलहाने लगी है. इसी भूमि के कुछ टुकड़े पर बासमती धान का भी उत्पादन कर रहे हैं.
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कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा
आनंदो भट्टाचार्य ने बताया कि 16 साल की उम्र में फुटबाॅल पर पैर जम गया. उसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा. पहला फुटबाॅल मैच थर्ड डिविजन टेल्को में खेला. उसके बाद फर्स्ट डिविजन जमशेदपुर में लीग मैच खेला. जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में पहला राष्ट्रीय फुटबाॅल प्रतियोगिता में वर्ष 1979 में हिस्सा लिया. उसके बाद भुवनेश्वर में वर्ष 1981 में राष्ट्रीय फुटबाॅल मैच में अपना दमखम दिखाया. उसके बाद अनगिनत मैचों में हिस्सा लिया. गोलकीपर के रूप में टीम में अपनी अलग पहचान बनाई थी. इन्होंने आल इंडिया इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट बीएचयू वाराणसी में भी एचसीएल कंपनी को रिप्रजेंट किया था. इनके गुरू अंतराष्ट्रीय फुटबाॅल कोच चुन्नी गोस्वामी थे.
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