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गिरिडीह : मलेरिया से जंग जीतने के कगार पर गिरिडीह

Abhay Verma Giridih : गिरिडीह में मलेरिया से अब मौतें नहीं हो रही हैं. मलेरिया विभाग की माने तो विगत 10 सालों में इस रोग से जिले में महज़ 2 मौतें हुई है. जिला मलेरिया सलाहकार मुकेश कुमार ने बताया कि मलेरिया पीड़ितों की संख्या जिले में लगातार कम हो रही है. एक दशक पूर्व मलेरिया पीड़ितों की तादाद हज़ारों में होती थी. लेकिन अब आंकड़ा 200 के आसपास ही सिमट कर रह जा रहा है. उपचार की उपलब्धता और मेडिकेटेड मच्छरदानी के वितरण से मलेरिया पर काबू पाने में सफलता मिली है. [caption id="attachment_410970" align="alignnone" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/09/MMUKESH-KUMAR-JILA-MALERIA-SALAHKAR-300x225.jpg"

alt="" width="300" height="225" /> मुकेश कुमार,जिला मलेरिया सलाहकार[/caption]

आंकड़े दे रहे गवाही

आंकड़ों के अनुसार 2012 में 12 हज़ार 096, 2013 में 9 हज़ार 473, 2014 में 10 हज़ार 597, 2015 में 7 हज़ार 222, 2016 में 8 हज़ार 002, 2017 में 7 हज़ार 276, 2018 में 5 हज़ार 273, 2019 में 2 हज़ार 638, 2020 में 304, 2021 में 393 और 2022 जुलाई तक 131 मलेरिया पीड़ित पाए गए.

क्या है मलेरिया के लक्षण

तेज़ बुखार, कपकपी, पसीना आना, सिर दर्द, शरीर में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी होना, कभी-कभी इसके लक्षण हर 48 से 72 घंटे में दोबारा दिखाई देते है.

दो प्रकार का होता है मलेरिया

मलेरिया दो प्रकार का होता है. प्लाज्मोडियम फेल्सी पेरम और प्लाज्मोडियम विवरेक्स. प्लाज्मोडियम फैंसी पैरों परजीबी के कारण होने वाला मलेरिया काफी खतरनाक होता है. इस श्रेणी के मलेरिया में तेज़ बुखार होता है. जिसमें मरीज की मौत तक हो जाती है. इसमें बहुत तेज़ ठंड लगती है. सिर में काफी दर्द और लगातार उल्टियां होती है. वही प्लाज्मोडियम विवरेक्स में ठंड के साथ शरीर का तापमान घटते-बढ़ते रहता है. [caption id="attachment_410971" align="alignnone" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/09/DR.SP-MISHRA-CS-300x300.jpg"

alt="" width="300" height="300" /> डॉ.एसपी मिश्रा, सिविल सर्जन, गिरिडीह[/caption]

जागरूकता से मलेरिया में आई कमी - सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ.एसपी मिश्रा ने कहा कि मलेरिया रोगियों की लगातार कम हो रही संख्या का सबसे महत्वपूर्ण कारण जागरूकता है. लोग जल जमाव व गंदगी से परहेज कर रहे हैं.छिड़काव का उपाय किया जा रहा है. यही कारण है कि मलेरिया परजीवी की संख्या में कमी आई है. विभाग भी इस दिशा में लगातार बेहतर काम कर रहा है. विभिन्न प्रखंडों में वितरित की जा रही मेडिकेटेड मच्छरदानी भी कारगर साबित हो रही है. पूर्व में जिले के पांच प्रखंड हाई रिस्क जोन में आते थे पर लगातार हो रहे बेहतर प्रयास से स्थिति बदली है.

10 साल में 2 मौतें

जिला मलेरिया सलाहकार मुकेश कुमार ने कहा कि बीते 10 सालों में जिले में मलेरिया से दो मौतें हुई हैं. वर्ष 2016 में बेंगाबाद प्रखंड में दो लोगों की मौत पीएफ मलेरिया से हुई थी .मानसून से पूर्व जिले में मलेरिया खोज अभियान चलाया जाता है तथा खोज किए गए रोगियों का समुचित इलाज किया जाता है. 117 स्वास्थ्य केंद्र के सभी गांव में अब तक 14 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानी का वितरण किया जा चुका है. कहा कि हर 3 साल के अंतराल पर मेडिकेटेड मच्छरदानी का वितरण किया जाता है. यह">https://lagatar.in/giridih-meeting-of-panchayat-representatives-of-bangabad-regarding-the-demand-for-road-repair/">यह

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