LagatarDesk : ग्लोबल और इंडियन इकोनॉमी को लेकर बुरी खबर है. वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक्स प्रॉस्पेक्ट्स ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल इकोनॉमी में आने वाले समय में सुस्ती और बढ़ सकती है. यह कोरोना के बढ़ते असर और आपूर्ति को लेकर समस्याओं की वजह से हो सकता है.
चालू वित्त वर्ष में 8.3 प्रतिशत रह सकती है ग्रोथ रेट
वर्ल्ड बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर को भी घटा दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ 8.3 प्रतिशत रह सकती है. वहीं 2022-23 में 8.7 प्रतिशत और 2023-24 में ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे पहले अक्टूबर 2021 में भी वर्ल्ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिए 8.3 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया था. यानी बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया है.
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पड़ोसी देशों से मजबूत होगी भारत की अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू और अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अपने पड़ोसी देशों की तुलना में मजबूत होगी. बांग्लादेश में 2021-22 और 2022-23 में क्रमशः 6.4 और 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है. जबकि नेपाल की विकास दर चालू वित्त वर्ष में 3.9 प्रतिशत और अगले वित्तीय वर्ष में 4.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 3.4 प्रतिशत और 2022-23 में 4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
वैश्विक आर्थिक विकास रिपोर्ट के अनुसार आयेगी मंदी
वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की आर्थिक विकास दर 4.1 प्रतिशत रह सकती है. वहीं 2021 में जीडीपी 5.5 प्रतिशत और 2023 में 3.2 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान है. मालूम हो कि विश्व बैंक ने 2022 के लिये अपने अनुमानों को घटा भी दिया है. इससे पहले जून 2021 में बैंक ने अनुमान जताया था कि 2022 में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.3 प्रतिशत रहेगी. वैश्विक आर्थिक विकास रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि इस साल मंदी आयेगी. क्योंकि कोरोना वायरस का प्रकोप और आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित कर रहा है. कई सरकारों द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम समाप्त होने वाले हैं.
कोरोना और अन्य कारणों के कारण अर्थव्यव
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अर्थव्यवस्था में आयेगी सुस्ती
विश्व बैंक के मुताबिक, कोरोना के नये वैरिएंट के बढ़ते मामलों, सरकारी आर्थिक समर्थन में कमी और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में मौजूद गतिरोधों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के आउटलुक को घटाया गया है. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा कि वर्तमान समय में ग्लोबल इकोनॉमी कोविड-19 की चुनौती, मुद्रास्फीति एवं नीतिगत अनिश्चितता का सामना कर रही है. सरकारी खर्च एवं मौद्रिक नीतियों में भी कुछ अनिश्चितता देखी जा रही है. जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.
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