महिला समूह से जुड़ कर बबली ने लिखी सफलता की नई इबादत
Jitendra Dubey / Godda : पथरगामा की ग्रामीण सड़कों पर फर्राटा भरती दीदी टोटो दिख जाए तो आपको कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. यह बबली देवी का दीदी टोटो है, जो हाट बाजार में यात्रियों को इधर से उधर पहुंचाती मिल जायेगी. कभी आर्थिक तंगी के कारण बबली देवी के परिवार में मुश्किल से दो जून की रोटी का जुगाड़ हो पाता था. आज बबली देवी की मेहनत का नतीजा है कि वो ना सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि परिवार को भी तरक्की के रास्ते पर ले आयी है. दरअसल देश की आधी आबादी की तरक्की के लिए केंद्र की व राज्य सरकारों ने जो रास्ते बनाए हैं उसी का असर है कि बबली देवी महिला समूह से जुड़कर अपना भाग्य संवार रही है.
कड़े संघर्ष के दौर से गुजरी है बबली
पथरगामा प्रखंड के खैरा गांव निवासी बबली देवी, पति अनूपलाल महतो के परिवार की नमक-रोटी थोड़ी सी खेती और दादा जी की पंक्चर बनाने की छोटी दुकान से होने वाली मामूली कमाई के भरोसे घिसट रही थी. आर्थिक तंगी से जूझते हुए बबली देवी ने गांव के घरों से थोड़ा बहुत अनाज खरीद कर उसे बाजार में बेचने का कारोबार शुरू किया. मेहनत के बल पर उसका यह कारोबार चल निकला. अब अनाज को बाजार ले जाने में गाड़ी की जरूरत महसूस हो रही थी. आखिरकार बबली देवी महिला समूह से जुड़कर ऋण ली और फिर बैंक ऑफ इंडिया से मुद्रा ऋण के मद में दो लाख कर्ज लेकर टोटो गाड़ी खरीद लिया. वह टोटो से लेकर हाट बाजार में अनाज की खरीद बिक्री का कारोबार करने लगी. व्यापार चल निकला और इसके बाद बबली देवी ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
महीने की पंद्रह से बीस हजार कमा लेती है बबली
बबली देवी बताती है कि हाट के दिन छोड़कर खाली समय में वह टोटो से यात्रियों को पहुंचाने का काम करती है, इससे अतिरिक्त कमाई हो जाती है. आज बबली देवी महीने की पंद्रह से बीस हजार रुपये मजे से कमा लेती है. जिससे पांच सदस्यों वाला परिवार अच्छी तरह से चल जाता है. बबली देवी के सफलता की कहानी बताती है कि महिला न सिर्फ एक मां, बहन, पत्नी होती है बल्कि जरूरत पड़ने पर वह पूरे परिवार का बोझ भी अकेले उठा सकती है. इसके लिए बबली मां योगिनी महिला समिति व जेएसएलपीएस को धन्यवाद देती है.
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