Godda : झारखंड सरकार के नव गठित मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से विधायक प्रदीप यादव को मंत्री नहीं बनाए जाने से क्षेत्र के लोगों में मायूसी है. विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम जनता यह तय मान रही थी कि प्रदीप यादव को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. लेकिन कांग्रेस आला कमान तक पहुंच नहीं होने के कारण वह मंत्री नहीं बन सके. झारखंड की राजनीति में प्रदीप यादव का लंबा अनुभव है. गोड्डा की राजनीति में भी ये सबसे सीनियर और मजबूत जनाधार वाले नेता माने जाते हैं. महगामा विधायक दीपिका पाण्डेय सिंह भी अनुभव के मामले में प्रदीप से बहुत पीछे है. हालांकि राजनीतिक वर्चस्व और गुटबाजी को लेकर इन दोनों कांग्रेसी नेताओं और समर्थकों के बीच खींचतान चलती रहती है. दोनों नेताओं के बीच भी छत्तीस का रिश्ता है. दोनों के समर्थकों का भी अलग–अलग कुनबा है.
लोस चुनाव में दीपिका का कटा था टिकट
पिछले लोकसभा चुनाव में गोड्डा सीट से टिकट के लिए पहली घोषणा दीपिका पाण्डेय के नाम की हुई थी. इसके बाद प्रदीप यादव के समर्थकों ने सड़क पर उतरकर जमकर विरोध–प्रदर्शन किया था. अंतत: पार्टी ने दीपिका का टिकट काटकर प्रदीप यादव को थमा दिया था. इसकी भरपाई के तौर पर दीपिका पाण्डेय को राज्य सरकार में मंत्री का पद दिया गया था. इस बार भी कांग्रेस से संभावित मंत्री के रूप ने प्रदीप का नाम लिया जा रहा था. प्रदेश प्रभारी गुलाम मीर तो प्रदीप के कार्यकलाप के कायल थे और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कहा भी था कि प्रदीप यादव का स्थान झारखंड के बेस्ट जनप्रतिनिधियों में आता है.
राहुल गंधी की कोर टीम में हैं दीपिका
प्रदीप यादव समर्थक कहते हैं कि दिल्ली में आलाकमान तक पहुंच नहीं रहने के कारण प्रदीप को मंत्री पद का नुकसान हुआ. दीपिका पाण्डेय राहुल गांधी के कोर ग्रुप की मेंबर हैं. उन्हें दूसरे राज्यों में प्रभारी बनाकर भेजा जाता है. इधर, दीपिका समर्थक कहते हैं कि प्रदीप यादव आरएसएस और भाजपा की उपज हैं. भाजपा के बाद जेवीएम के भी विधायक बने. कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने हैं. ये कब किस दल में जाएंगे कोई निश्चित नहीं है. जबकि दीपिका पाण्डेय दूसरी बार विधायक बनीं और मंत्री भी बन गईं.
यह भी पढ़ें : झारखंड आंदोलनकारियों को बड़ा तोहफा, सीएम ने 30वीं संपुष्ट सूची को दी मंजूरी