Ranchi: 31 जुलाई 1967 को जन्म लेने वाले झारखंड की राजनीति का एक चर्चित नाम, जिसे हम टाइगर के नाम से भी जानते हैं, गुरुवार यानी 6 अप्रैल 2023 को अंतत: दुनिया से रुखसत हो गया. झारखंडी विचारधारा का जबरदस्त समर्थन करने वाले और अपने राजनीतिक पार्टी के प्रति कट्टर समर्पित इस नेता ने एक ही पार्टी के टिकट पर एक ही विधानसभा से चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. झारखंडी विचारधारा का इनका समर्थन इतना मजबूत था कि इन्होंने अपने वाहन का नंबर तक 1932 ले रखा था. आज इस व्यक्ति ने महज 56 साल के आसपास की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. हम बात कर रहे हैं, ‘टाइगर’ नाम से चर्चित रहे झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उत्पाद निषेध विभाग के मंत्री रहे जगरनाथ महतो का.
जगरनाथ महतो ने गुरूवार की सुबह चेन्नई में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. इनका व्यक्तित्व ऐसा था कि विरोधी भी दिल से इनकी तारीफ करते थे. उनके निधन पर झारखंड की राजनीति सहित हर वर्ग के लोगों ने शोक व्यक्त किया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिखा, अपूरणीय क्षति! ”हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! झारखंड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने लिखा, लंबे समय से बीमारी को हराते हुए योद्धा की भांति डंटे रहने वाले जगरनाथ जी का चले जाना पूरे झारखंड के लिए अत्यंत दुखदायी है. राजनैतिक भिन्नताओं के बावजूद व्यक्तिगत रूप से उनकी जीवटता का वे सदैव प्रशंसक रहे हैं.
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
बता दें कि शिक्षा मंत्री की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी. नवंबर 2020 में कोरोना से पीड़ित होने की वजह से उनके फेफड़े खराब हो गए थे. बाद में नवंबर 2020 में चेन्नई के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में उनके फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया गया था. बीते महीने एक रात जब उनकी हालत कुछ ज्यादा बिगड़ गई, तो पहले उन्हें रांची के पारस हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. फिर बेहतर इलाज के लिए एयर एम्बुलेंस के जरिए चेन्नई के एमजीएम अस्पताल ले जाया गया. वहीं उनका ट्रीटमेंट चल रहा था. यहीं पर इन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.
व्यक्तिगत जीवन काफी संघर्षमय रहा
जगरनाथ महतो का व्यक्तिगत जीवन संघर्षमय रहा. इनका जन्म 31 जुलाई 1967 को बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड स्थित अलारगो गांव के सिमराकुल्ही में हुआ था. जगरनाथ महतो चार भाइयों और एक बहन में सबसे बड़े थे. जगरनाथ महतो विवाहित थे. उनके चार बेटियां और एक बेटा है. बचपन से गरीबी देखने वाले जगरनाथ महतो अपने परिवार के प्रति हमेशा उत्तरदायी रहे. जब इनके एक भाई की हत्या हुई, तो वे व्यक्तिगत तौर पर काफी टूटे लेकिन परिवार को बिखरने नहीं दिया. पूरी शिद्दत के साथ परिवार को संभाले रखा.
बचपन की गरीबी और झारखंड आंदोलन में छोड़ दी पढ़ाई, 2020 में लिया इंटर में नामांकन
उनके शैक्षणिक जीवन की बात करें, तो वे दसवीं पास थे. बचपन की गरीबी और बाद के सालों में झारखंड आंदोलन में सक्रियता के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई. अलग राज्य की लड़ाई लड़ने में कभी यहां, कभी वहां रातें गुजारीं. इसी दौरान वक्त निकाल कर पढ़ाई भी की और सन-1995 में मैट्रिक पास किया. फिर पढ़ाई रुक गई.
वर्ष 2020 में उन्होंने अपनी पढ़ाई को फिर से शुरू करने का फैसला किया. इसके लिए वे काफी उत्साहित भी थे. जगरनाथ महतो ने बोकारो जिले के नवाडीह स्थित देवी प्रसाद मेमोरियल इंटर कालेज में एडमिशन लिया. यह कॉलेज भी शिक्षा मंत्री के द्वारा ही सन 2006 बनाया गया था. उन्होंने पहले विषय के बतौर राजनीति शास्त्र का चुनाव किया. उनका मानना है कि पॉलिटिक्स (राजनीति) करने वाले व्यक्ति को पॉलिटिकल साइंस (राजनीति शास्त्र) तो पढ़ना ही चाहिए.
जगरनाथ महतो की राजनीतिक जीवन पर विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन का बड़ा प्रभाव
झारखंड की राजनीति में एक चर्चित नाम रहे जगरनाथ महतो के प्रारंभिक जीवन में दो शख्सियत का बड़ा प्रभाव पड़ा. विनोद बिहारी महतो और गुरुजी (शिबू सोरेन) का. मीडिया से बातचीत में उन्होंने खुद इस बात को स्वीकारा था. उन्होंने कहा था कि इनके प्रभाव का ही असर था कि वे झारखंड आंदोलन में शामिल हो गए.
चार बार विधायक रहे वो भी एक ही पार्टी से
जगरनाथ महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के वैसे नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कभी भी पार्टी नहीं छोड़ी. झामुमो के टिकट पर वे गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में आने वाली डुमरी विधानसभा का चार बार प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने इस सीट से साल 2005, 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव जीता. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी से वे हार गए और सांसद बनने का सपना अधूरा ही रह गया. फिर दिसंबर 2019 के चुनाव में आजसू की यशोदा देवी को 34,288 वोटों से हराया. जीतने के बाद हेमंत सरकार में वे शामिल हुए. उन्हें स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता तथा उत्पाद निषेध विभाग की मंत्री बनाया गया.
Leave a Reply