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नौकरी मिली न आवास, सेल को 15.17 एकड़ जमीन देनेवाले 105 विस्थापितों संग धोखा

Satya Sharan Mishra Sindri : झारखंड में भूमि अधिग्रहण के नाम पर रैयतों के साथ छलावा नयी बात नहीं है. धनबाद के सिंदरी स्थित टासरा रोहड़ाबांध मौजा में ओपन कास्ट परियोजना के लिए 224 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना था. सेल प्रबंधन ने 224 एकड़ जमीन चिन्हित कर ली. 2015 में जमीन पर बसे रैयतों से सेल प्रबंधन ने वादा किया था कि सभी विस्थापितों को परियोजना में नियोजित किया जायेगा. उन्हें स्थायी आवास बनाकर भी दिया जायेगा. आज 6 साल बाद भी रैयतों को स्थायी ठिकाना और रोजगार नहीं मिला है. रैयत खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें - कोरोना">https://english.lagatar.in/understand-coronas-growing-transition-from-the-photographs-the-officers-teaching-social-distancing-are-themselves-violating/46053/">कोरोना

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2017 में बंद हो गया खनन का काम

सेल ने टासरा ओपन कास्ट परियोजना को 2009 में पर्यावरण क्लीयरेंस के बाद लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड को कोयला खनन के लिए दिया था. सितंबर 2015 में रोहड़ाबांध और टासरा मौजा की 224 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गयी. पहले चरण में 105 रैयतों की सिर्फ 15.17 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर उत्पादन शुरू हुआ. लेकिन 2017 में खनन कार्य बंद हो गया. जिन रैयतों की जमीन ली गयी थी, वे बेरोजगार हो गये.

विस्थापितों के मकान के लिए जमीन अधिग्रहण ही नहीं हुआ

सेल ने समझौता किया था कि 15.17 एकड़ जमीन से विस्थापित हुए 105 परिवारों को 18 महीने के अंदर स्थायी आवास मिलेगा. लेकिन 6 साल बाद भी उन्हें स्थायी आवास नहीं मिला है. खान और भूतत्व विभाग का कहना है कि आररएंडआर नीति के तहत आसनबनी में 41 एकड़ जमीन पर इन विस्थापितों का पुनर्वास करना है. वहां भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है. जब अधिग्रहण हो जायेगा, तब विस्थापितों के लिए मकान बनेगा. तब तक 105 विस्थापित परिवारों को PDIL के खाली पड़े 63 घरों में स्थायी रूप से पुनर्वासित किया गया है. सवाल यह है कि जब विस्थापितों की संख्या 105 है, तो उन्हें 63 क्वार्टरों में रखकर सरकार ने मजाक नहीं तो और क्या किया है.

लैंको कंपनी को टर्मिनेट करने के बाद से बंद है काम

दरअसल विस्थापितों की परेशानी तब बढ़ी, जब लैंको कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने दिवालिया घोषित कर दिया. इसके बाद सेल ने लैंको कंपनी को टर्मिनेट कर दिया. इसके चलते लैंको में काम कर रहे 105 परिवार के लोग बेरोजगार हो गये. 5 साल से परियोजना बंद है. अपनी जमीन देने वाले 105 रैयत बेरोजगारी और भुखमरी के कगार पर हैं.कई बार विस्थापितों ने रोजगार और स्थायी आवास देने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया,. लेकिन उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ.

सेल प्रबंधन की वादाखिलाफी से रैयतों में गुस्सा

सेल प्रबंधन पिछले कई सालों से विस्थापितों को यह आश्वासन देता आ रहा है कि वह जल्द टासरा ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट के बंद काम को शुरू करायेगा. सभी रैयतों को नियोजित किया जायेगा और जल्द पुनर्वासित किया जायेगा. विस्थापितों में अब कंपनी की वादाखिलाफी से आक्रोश बढ़ता जा रहा है. यह आक्रोश कभी भी उग्र रूप ले सकता है. https://english.lagatar.in/learn-where-700-km-long-four-lane-road-will-be-built-in-jharkhand-one-lakh-crore/46060/

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