Lagatar Desk: देवघर के सिविल सर्जन कह रहे हैं कि भोले बाबा ही बचायेंगे. अस्पताल और ऑक्सीजन नहीं बचायेगा. जो घर में रहेगा, वही बचेगा, नहीं तो कीड़े-मकोड़े की तरह छटपटा के मरेंगे लोग. उधर उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत लोगों को हरिद्वार भेज रहे थे. यह कह कर कि गंगा मइया में डुबकी लगाने से कोरोना नहीं होगा. जैसे गंगाजी में गंगाजल नहीं, सैनिटाइजर बह रहा हो. लोगों का इलाज करनेवाला एक डॉक्टर लोगों को भगवान का वास्ता देकर घर में रहने को कहता है. एक नेता भगवान के नाम पर लोगों को महामारी के बीच धकेल देता है. नतीजा देखिये, कुंभ में शाही स्नान करने गये 100 से ज्यादा साधु-संत संक्रमित हैं.
निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा ने बीच में ही कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी, क्योंकि बड़ी संख्या में साधु संक्रमित हो रहे हैं. इनमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के महंथ नरेंद्र गिरि भी शामिल हैं.
मध्यप्रदेश से आये निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव की मौत कोरोना से हो गयी. वही नरसिंह मंदिर के प्रमुख महामंडलेश्वर श्याम देवाचार्य महाराज भी चल बसे. उन्हें कुंभ स्नान के बाद संक्रमण हुआ था.
कुंभ के बीच पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. देश में स्कूल-कॉलेज बंद हैं. 10वीं और 12वीं जो किसी भी पढ़नेवाले बच्चे के जीवन का सबसे अहम पड़ाव होता है, रद्द कर दिये या टाल दिये गये हैं. लेकिन चुनाव जारी है. चुनाव आयोग ने रैलियों और सभाओं पर रोक लगाने तक से इनकार कर दिया है. इससे जाहिर है कि सरकार को लोगों की चिंता नहीं है. उसके लिए चुनावों में जीत लोगों की जान से ज्यादा कीमती है.
भारत में कोरोना की तीसरी लहर यूरोप और अमेरिका के मुकाबले तीन महीने देर से आयी. लेकिन हमने पहली लहर के समय जो तैयारियां की थीं, वे भी बंद कर दीं. अब नतीजा सामने है. संसाधनों के अभाव में लोग मर रहे हैं. इस अस्पताल से उस अस्पताल घूमने में कीमती वक्त जाया हो जाता है. लोग रास्ते में मर रहे हैं. आम लोगों के साथ ही अब तो योगी आदित्यनाथ और येदुरप्पा जैसे मुख्यमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायिक सेवा से जुड़े लोग, डॉक्टर, रेल कर्मी और पुलिस बल के जवान संक्रमित हैं. इनमें से कई की मौत भी हो चुकी है. ये ऐसे लोग हैं, जो व्यवस्था का अंग हैं या रहे हैं. जब इनकी जान जा सकती है, जो आम आदमी की क्या बिसात है.