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कुछ तो शर्म कीजिए सरकार?

Brijendra Dubey अब जाकर साहब बहादुर की नींद टूटी है. कई दिनों से जारी देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन, हो-हंगामे से लेकर कोर्ट-कचहरी तक मामला पहुंच जाने के बाद सरकार ने मुंह खोला है. और मुंह खोला भी तो किसके लिए? विद्यार्थियों के लिए? नहीं-नहीं, एनटीए के लिए. देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीट एग्जाम पर जारी विवाद को लेकर अपने पहले ही बयान में एनटीए की तरफ से ईमानदारी का ठेका ले लिया. महोदय बोले- कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. सरकार कोर्ट को जवाब देने को तैयार है. मंत्री महोदय, क्या सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट को जवाब नहीं देने का विकल्प भी है क्या? अगर नहीं तो फिर किस बात का ढोल पीट रहे हैं कि सरकार जवाब दे देगी, मानो जवाब देकर वह सुप्रीम कोर्ट या नीट परीक्षार्थियों और उनके परिजनों पर कृपा कर देगी. जरा सोचिए, यह गुरूर तब है जब विभिन्न मुद्दों पर नाराज देश के मतदाताओं ने अभी-अभी आपको जमीन सुंघाई है. आपका 400 पार का नारा फुस्स हो गया और 272 पार भी नहीं कर सके, लेकिन कहते हैं न- जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है. इस सरकार का विवेक दम तोड़ता दिख रहा है, वरना नीट रिजल्ट पर विवाद गहराते ही एनटीए चीफ विनीत जोशी को तुरंत पद से हटाने का लान हो जाता, लेकिन बुद्धि की बलिहारी देखिए- सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंच जाने के बाद भी ऐक्शन लेना तो दूर, उल्टे एनटीए के बचाव में बयान दे रही है सरकार. क्या उसे अब भी इस बात का गुरूर है कि आम जनता बहुत भोली है, वह वही समझेगी, जो उसे समझाया जाएगा? अगर ऐसा नहीं है तो फिर तमाम परिस्थितियों को नजरअंदाज करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कैसे कह दिया कि भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं. अगर भ्रष्टाचार नहीं हुआ है तो बिहार में जो नीट स्टूडेंट पकड़ाया और उसकी निशानदेही पर दूसरे लोग पकड़े गए, वह सब गलत है? ऐसा है तो धर्मेंद्र प्रधान का मंत्रालय या एनटीए बिहार पुलिस पर केस क्यों नहीं करते? क्या दोनों में कोई, बिहार में गिरफ्तार आरोपियों को पाक साफ बताने की हिम्मत जुटा पाएगा? अगर बिहार पुलिस की कार्रवाई सही है या कम से कम गलत होने का पुख्ता सबूत नहीं है, तो फिर एनटीए को किस आधार पर ईमानदारी का सर्टिफिकेट दिया गया है? पहले एनटीए कहता है कि नीट एग्जाम 2024 के रिजल्ट 14 जून को आएंगे. फिर बिना किसी सूचना के 4 जून को ही रिजल्ट जारी हो जाता है. मजे की बात है कि पूरे देश और देशभर के मीडिया का ध्यान उसी दिन आ रहे लोकसभा चुनावों के रिजल्ट पर रहता है. नीट रिजल्ट की खबर मीडिया में कहीं दब सी जाती है. क्या नीट की यह हरकत चोर की दाढ़ी में तिनके की कहावत को प्रमाणित नहीं करती है? तय तारीख से 10 दिन पहले बिना कोई जानकारी दिए रिजल्ट जारी करने का मकसद क्या था? इस सवाल का जवाब आया है. एनटीए ने कहा कि रिजल्ट तैयार हो गया था तो 10 दिन रोक कर रखना सही नहीं होता. पहले रिजल्ट जारी होने से काउंसलिंग और एडमिशन की प्रक्रिया समय से पूरी हो जाएगी, लेकिन अब क्या हो रहा है? मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा. अब पता नहीं सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला आता है, लेकिन अगर शीर्ष कोर्ट ने एग्जाम ही न कैंसिल कर दिए, तब क्या होगा. यही नहीं नीट एग्जाम में धांधली हुई, इसके और भी कई संकेत हैं. पहली बार 67 परीक्षार्थियों को पूरे 720 नंबर आना. यह आंकड़ा सामान्य से करीब 17-18 गुना है. अब तक ज्यादा से ज्यादा 3-4 स्टूडेंट्स को ही 720 में 720 अंक प्राप्त हुआ करते थे. इस बार तो पूरे-पूरे अंक पाने वाले छह परीक्षार्थी एक ही एग्जाम सेंटर से हैं. एनटीए कहता है कि यह सिर्फ संयोग है. वाह, सारे संयोग इस बार ही बन रहे हैं! संयोग से 10 दिन पहले रिजल्ट तैयार हो गया और संयोग से ही 1,500 से ज्यादा बच्चों को ओएमआर शीट देर से मिली और उन्हें ग्रेस मार्क देने की नई प्रथा चलानी पड़ी. फिर ग्रेस मार्क देने का फैसला बिल्कुल ईमानदारी पर आधारित है, तो इसे वापस लेकर 1,500 स्टूडेंट्स का दोबारा एग्जाम लेने की नौबत क्यों आई? क्यों नहीं सुप्रीम कोर्ट के सवालों का सामना कर उसे बताया जाए कि ग्रेस मार्क्स की व्यवस्था बिल्कुल सही है? ठीक है, एनटीए के कर्ता-धर्ता देश के सबसे टॉप एग्जाम यूपीएससी से निकले दिग्गज लोग हैं, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि बाकी जनता महामूर्ख है, उसे कुछ समझ ही नहीं आता? देश के शिक्षा मंत्री जी, अभी भी वक्त है, सुधर जाइए. अब भी मौका है, एनटीए पर कार्रवाई कीजिए. पहले ऐक्शन में तो एनटीए चेयरमैन को तुरंत हटाने का ऐलान हो. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के पास मामला है, तो वही इस ऐक्शन का आदेश दे सकता है. अगर ऐसा हुआ तो हे सरकार बहादुर, आपके हाथ से एक बड़ा मौका निकल जाएगा. आम जनता में यही छवि बनेगी कि सरकार भ्रष्टाचारियों के साथ खड़ी रहती है, सुप्रीम कोर्ट ने उनका दर्द समझा और न्याय का मार्ग प्रशस्त किया. जरा सोचिए, अगर ऐसा हुआ तो भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ने का दंभ भरने वाली आप की सरकार की कैसी भद्द पिटेगी? प्रधान श्रीमान, आपको चहेते आईएएस की चिंता है जिसे आपने नौकरी दी, लेकिन जिसने आपको नौकरी दी, उस प्रधानमंत्री और उसकी पूरी सरकार की चिंता कौन करेगा? अगर सरकार की साख दांव पर लगेगी तो उसका परिणाम क्या होगा, यह तो 10 दिन पहले 4 जून को ही देख चुके हैं. इसलिए आम लोगों को मूर्ख समझना छोड़िए और कम से कम उनके साथ खड़ा हुआ दिखने की कोशिश कीजिए. आपको क्या पता कि वर्षों हाड़ तोड़ मेहनत करने के बाद धांधली की आशंका मात्र से स्टूटेंड्स और उसके परिजनों पर क्या बीतती है. आपको क्या पता कि जब नीट एग्जाम कैंसल हो गया और बच्चों को दुबारा परीक्षा में बैठना पड़ा तो क्या स्थिति बनेगी. इतना जान लीजिए, आज जनता परेशान होगी तो कल मौका मिलते ही नेता को परेशान करेगी ही करेगी. आप फुल प्रूफ तो हैं नहीं. जैसी करनी, वैसी भरनी की कहावत यूं जाया तो नहीं जाने वाली. [wpse_comments_template]
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