पेसा अधिनियम 1996 में ग्रामसभा को शक्तियां प्रदान की गई हैं
पेसा अधिनियम 1996 में आदिवासी समाज को पेसा के तहत उनके मूल सिद्धांतों को लाया जा रहा है. जिसमें परंपरागत रीति रिवाजों, भाषा, संस्कृति और रूढ़ि प्रथाओं को स्वशासन का मूल आधार माना है. जिसमें ग्रामसभा को शक्तियां प्रदत्त की गई हैं. झारखंड में अब तक पेसा अधिनियम लागू नहीं होने के कारण राज्य में आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था खत्म हो रही है. जबकि इसे बने 28 वर्ष हो चुके हैं. सरकार अब तक पेसा कानून लागू करने में विफल रही है. सरकारी नौकरशाह ग्रामसभा की शक्तियों को शून्य कर कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं.पेसा कानून लागू नहीं होने से आदिवासी समाज की पारंपरिक व्यवस्था खत्म हो गई
सरकार शहरीकरण और विकास योजना के तहत आदिवासियों के परंपरागत व्यवस्था को भी खत्म कर रही है. पेसा कानून नहीं होने की वजह से इसका सबसे बड़ा नुकसान आदिवासी समाज को हो रहा है. आदिवासियों की रूढ़ि व्यवस्था रही है. ग्रामसभा के तहत आदिवासी अपने समाज के सामूहिक पर्व, त्यौहार, पूजा पाठ, पारिवारिक वाद विवाद, संपति का विभाजन, सामाजिक समस्याऐं, अपराधिक और न्यायिक व मामलों का निपटारा करती है. पंचायती अधिनियम के तहत ग्रामसभा की व्यवस्थाओं में दखलनदाजी कर उनकी रूढ़ी प्रथाओं पर उनकी परम्परागत व्यवस्थाओं उनकी रीति रिवाजों और उनके सिस्टम कस्टम पर अतिक्रमण किया गया है. जिससे प्रशासन द्वारा उनका शोषण और दोहन हो रहा है. उनके पैतृक और सामूहिक संपत्ति की लूट हो रही है.लैंड बैंक बनाकर आदिवासियों की जमीन लूटी गई
सरकार ने लैंड बैंक बनाकर उनकी हजारों एकड़ जमीनें लूट ली. जिसपर करम टांड़, जतरा टांड़, सरना टांड़ होती थीं पूजा पाठ होता था सभाएं होती थी. मवेशियों के चारागाह होते थे. प्यासे पशुओं जीव जंतुओं पक्षियों और राहगीरों के लिए दाड़ी और चुंवा होते थे. जिसे बड़े बिल्डरों कॉर्पोरेटरों कमानियों को दिए गए. माफिया और नौकरशाहों ने मिलकर कर यहां के नदी, नालों तालाब, खेतीबारी, खलिहान, पहाड़, जंगल, पेड़, कोयला, बालू सहित खनिज संपदाओं को लूटने का काम किया है. रांची के शहरी क्षेत्रों में धार्मिक जमीन पर अवैध कब्जा किया है और जिसे सरकारी राजस्व का हिस्सा बनाया गया. जबकि ये जमीनें सेल कैटेगरी में नहीं है. टैक्स फ्री बेलगान है. गांव के प्रमुख पहान कोटवार पाइन भोरा महतो आदि के हैं. जो आदिवासी समाज का मुख्य इकाई है. जिसे सरकारी नौकरशाहों और माफियों ने बेतहाशा लूटा है. जो गैर कानूनी है. जिसपर सरकार नियमावली बना कर कानून व्यवस्था पर सुधार लाए और पेसा अधिनियम 1996 के प्रारूप को ही नियमावली मानकर हु ब हु लागू करे. मौके पर पहान अध्यक्ष जगदीश पहान, महासचिव हलधर चंदन पहान, अरविंद पहान, शंकर पहान, महावीर पहान, जेवियर पहान, विजय पहान, महावीर मुंडा, बुधवा मुंडा, अनिल मुंडा, पड़हा से अजित उरांव झरिया उरांव महावीर उरांव सहित कई अन्य उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें – अयोध्या">https://lagatar.in/ayodhya-three-day-grand-celebration-begins-on-the-first-anniversary-of-the-consecration-of-ram-mandir/">अयोध्या: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर तीन दिवसीय भव्य उत्सव का शुभारंभ