Latehar : लातेहार जिला के दर्जनों गांव को खुशहाल बनाया जा सकता है. सिंचाई सुविधा बहाल कर इलाके से पलायन रोकी जा सकती है. रोजगार के नये द्वारा खोले जा सकते हैं. इलाके को संपन्न बनाया जा सकता है. लेकिन इस दिशा में अलग राज्य बनने के 21 साल बाद भी झारखंड में सत्ता की बगडोर संभालने वाली सरकार ने कोई पहल नहीं की. जिसका परिणाम है कि इलाके से लोग रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश पलायन करते हैं.
दर्जनों गांव बसे हैं मंडल डैम के किनारे
लातेहार जिला के बरवाडीह प्रखंड में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां अगर एक बराज बना दिया जाता है, तो मोरवाई, कुटुवागढ़, छेवा, चपरी लंका, खुर्रा, मंगरा, अम्बडीहा, कल्याणपुर, कंचनपुर, केचकी जैसे गांव की हजारों एकड़ भूमि को बहुफसली खेती के योग्य बनाया जा सकता है. जिससे इलाके की बदहाली को दूर किया जा सकता है.
सरकार को सिंचाई सुविधा बहाल करनी चाहिए
मनिका विधायक रामचंद्र सिंह कहते हैं- जनप्रतिनिधियों का काम आम जनों की समस्या को दूर करना है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जिसे सरकार की थोड़ी पहल से खुशहाल बनाया जा सकता है. ऐसे दर्जनों गांव मंडल डैम के जल जमाव वाले इलाके से सटे हुए हैं. उन गांवों में खेतों तक सरकार को सिंचाई सुविधा बहाल करनी चाहिए.
जल संसाधन विभाग बराज बनाने की संभावना का करेगा अध्ययन
प्राप्त सूचना के अनुसार, मनिका विधायक द्वारा मंडल डैम का पानी बराज के माध्यम से बरवाडीह प्रखंड के गांव तक लाने के लिए विभाग को कई पत्र लिखा गया है, जिसके अलोक में विभाग द्वारा बराज बनाने की संभावना का अध्यान किया जा रहा है. ज्ञात हो कि मंडल डैम परियोजना वर्षों से लंबित पड़ी है. 1972 में इसकी शुरुआत हुई थी. 1983 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसकी आधारशिला भी रखी थी, लेकिन 1993 से यह परियोजना बंद पड़ी है. वहीं 2019 में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इस परियोजना का पुन: आधारशिला रखी थी. इस परियोजना में लगभग 2391 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. अबतक कुल 769 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार 90 प्रतिशन डैम का काम पूरा किया जा चुका है. नॉर्थ कोयल प्रोजेक्ट पलामू प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी योजना है.
क्या है वर्तमान स्थिति
वर्तमान में इस परियोजना के तहत आने वाले मोहम्मदगंज बराज का काम पूरा हो गया है. लेफ्ट कनाल का करीब 90 फीसदी काम हो गया है. राइट कनाल का काम भी पूरा हो गया है. राइट मेन कनाल के लिए वितरण व्यवस्था का काम 90 फीसदी और लेफ्ट कनाल का करीब 40 फीसदी काम पूरा हो गया है. लेकिन सिंचाई की व्यवस्था डैम में पड़ने वाले नौ गेट का निर्माण नहीं होने के कारण शुरू नहीं हो सकी है. गेट निर्माण नहीं होने के कारण रबी और खरीफ में सिंचाई का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है. वर्तमान में 56,045 हेक्टेयर जमीन पर ही सिंचाई हो पा रही है. इसमें करीब 50 हजार हेक्टेयर बिहार और छह हजार हेक्टेयर झारखंड का हिस्सा है.
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