की बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें... जानकारी के अनुसार, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के समय में यह बस स्टैंड काफी बेहतर हुआ करता था, लेकिन राज्य विभाजित होने के बाद झारखंड सरकार ने राज्य पथ परिवहन निगम का गठन नहीं किया. जिस वजह से बस स्टैंड परिवहन विभाग के जिम्मे दिया गया. लेकिन विभाग के उदासीन रवैया के कारण बस स्टैंड की स्थिति बद से बदतर होती चली गई.
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नो मास्क नो इंट्री का पोस्टर, लेकिन कर्मी खुद नहीं करते इसका पालन
इसे लेकर लगातार.इन">http://lagatar.in">लगातार.इनने सोमवार को सरकारी बस स्टैंड का जायजा लिया. वहां के कर्मचारियों से बात की. उससे पहले जब टिकट घर में हमने प्रवेश किया तो वहां के लटकते पंखे और टूटी-फूटी हुई फर्श को देखा. कर्मियों ने कहा कि यहां काम करने में उन्हें डर लगता है. कहीं कोई हालत ना हो जाये इस बात का अंदेशा हमेशा लगा रहता है. इसे भी पढ़ें-क्वाड">https://lagatar.in/quad-summit-pm-modi-reaches-tokyo-grand-welcome-children-talk-in-hindi/">क्वाड
शिखर सम्मेलन : प्रधानमंत्री मोदी टोक्यो पहुंचे, भव्य स्वागत, बच्चों ने हिन्दी में की बातचीत
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जो हाल रघुवर सरकार में वही हाल हेमंत सरकार में भी
फिर हम टिकट घर के अंदर गए. वहां हमने बस स्टैंड की देखरेख करने वाले मनोज सिंह उर्फ मास्टर जी से बात की. उन्होंने बताया की वो यहां 2015 से काम कर रहे हैं. जब रघुवर सरकार थी तब से लेकर आज तक बस स्टैंड की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि फिलहाल यहां 25 कर्मचारी तैनात हैं जो शिफ्ट के हिसाब से काम करते हैं. वहीं बस स्टैंड में साफ-सफाई की व्यवस्था भी बेहद खराब है. यहां नगर निगम की ओर से ध्यान नहीं दिया जाता है.alt="" width="768" height="1024" />
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डीटीओ ऑफिस का स्टाफ नहीं दिखता
मनोज सिंह ने बताया कि नियम के अनुसार, डीटीओ ऑफिस से एक स्टाफ को रोज यहां बैठना है, लेकिन आज तक पता ही नहीं चल पाया की डीटीओ स्टाफ है कहां. 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन बस लगता है की यह सरकारी बस स्टैंड है. वो भी झंडा ऐसी जगह फहराया जाता है जहां सब कुछ खंडहर पड़ा हुआ है. उन्होंने बताया की यहां 150 बसों का परमिट है लेकिन 100 से भी कम बसें चल रही हैं.alt="" width="768" height="1024" />
क्या कहते हैं यात्री
फिर हमने बस यात्रियों से बात की. डाल्टनगंज की रहने वाली चंचल सिंह रांची से बोकारो को जा रही थीं. उन्होंने कहा की पहली बार वो बस से जा रही हैं. उन्होंने बताया की उनका पहला अनुभव बहुत बेकार रहा. उन्होंने बताया की सुना था कि रांची बहुत खूबसूरत है, पर यहां की हालत तो बेहद खराब है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए, जो कि यहां नहीं है. रांची से बोकारो तक का भाड़ा 350 रुपये का है लेकिन सुविधा कुछ भी नहीं है. फिर हमने जमशेदपुर जा रही प्रिया से बात की तो उन्होंने बताया कि न यहां शौचालय की स्थिति सही है और ना पीने के लिए पानी का ही इंतजाम है. इस वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसे भी पढ़ें-धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-out-of-73-teachers-missing-from-checking-matriculation-inter-copy-only-4-teachers-responded-to-the-notice/">धनबाद: मैट्रिक-इंटर की कॉपी जांचने से गायब 73 में से 4 शिक्षकों ने ही दिया नोटिस का जवाब [wpse_comments_template]