वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सोना (गोल्ड) की खूब चर्चा थी. किसने सोंचा था कि एक साल के भीतर ही सच में सोना गरीबों व मीडिल क्लास की पहुंच से बाहर हो जायेगा. सोमवार को गोल्ड का मूल्य प्रति 10 ग्राम 85,300 रुपया पहुंच गया. जबकि चांदी 96,000 प्रति किलो की उंचाई रेट पर पहुंच गया है.
सोना की कीमत तेजी से बढ़ने की वजह भारतीय रुपये का तेजी से कमजोर होना है. सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 86.96 पर पहुंच गया. पिछले एक माह में 1.20 रुपया टूट गया. डॉलर की मजबूती ने गोल्ड की कीमत में पंख लगा दिया है.
पिछले माह प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि देश का मीडिल क्लास खर्च चलाने के लिए गोल्ड लोन ले रहे हैं. खतरनाक स्थिति यह है कि वह लोन की ईएमआई चुका नहीं पा रहे हैं. अधिकांश लोग गिरवी रखे गोल्ड को छुड़ा नहीं पा रहे हैं.
तमाम चीजों की मंहगाई के बीच मीडिल क्लास के लिए सोना खरीदना कितना मुश्किल हो गया है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि देश में सिर्फ 7.90 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने वर्ष 2023 में आयकर रिटर्न दाखिल किया था. इसमें से भी 63 फीसदी लोगों यानी 4.97 करोड़ लोगों ने जीरो रिटर्न दाखिल किया था. मतलब उनकी सलाना कमाई 5-6 लाख से कम थी.
रिटर्न दाखिल करने वाले बचे 2.93 करोड़ लोग ही हैं. इनमें से 1.39 करोड़ यानी 47 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनकी सलाना कमाई 5 से 15 लाख रुपये थी. आंकड़े के मुताबिक देश के करीब 38 लाख लोग ही ऐसे हैं, जिनकी सलाना कमाई 10 लाख से अधिक है.
महंगाई से लोगों की कमर टूटी हुई है, इसे दिसंबर 2023 और दिसंबर 2024 में हुई वाहनों की बिक्री के आंकड़े से समझ सकते हैं. वाहनों की बिक्री में 12.49 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. दिसंबर 2023 में 20.07 लाख वाहन बिके थे, जबकि दिसंबर 2024 में 17.56 लाख वाहन. हर तरह के वाहन कम बिके.
वाहनों की बिक्री में सबसे अधिक कमी टू-व्हीलर, यानी मीडिल क्लास की पसंदीदा वाहन में दर्ज की गई. दिसंबर 2023 के मुकाबले दिसंबर 2024 में 17.64 प्रतिशत कम वाहन बिके. संख्या के हिसाब से दिसंबर 2023 में 14,54,353 वाहन बिके थे, जबकि दिसंबर 2024 में 11,97,474 वाहन बिके.
अपर मीडिल क्लास का सपना यानी पैसेंजर वाहन (कार, एसयूवी) की बिक्री भी 1.97 कम हुई. दिसंबर 2023 में 2,99,351 वाहन बिके थे, जबकि दिसंबर 2024 में 2,93,465 वाहन बिके. इसी तरह कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री में भी 5.24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. 76,010 की जगह 72,028 वाहन बिके.
कुल मिलाकर आज की स्थिति यह है कि दाल, चालव, आटा, सब्जी, कपड़ा, दुध, दवाई खरीदने और स्कूल फीस देने में पस्त मीडिल क्लास अब शादी-ब्याह में भी सोने के गहने बनाने लायक नहीं बचे हैं. शायद एकाध अंगुठी, बिछिया ही खरीद पाएं. वैसे भी सड़कों पर कम ट्रैफिक और मॉल-दुकान में कम भीड़ पहले से ही बहुतों को परेशान कर रहा है.