Girish Malviya
केंद्र सरकार ने 12 लाख रेलवे कर्मचारियों का दिवाली बोनस रोक दिया है. इससे पहले ये खबर थी कि भूतपूर्व रेलवे कर्मचारियों की पेंशन में भी दिक्कत आ रही है. साफ बात है कि मोदी सरकार के पास अपने लिए दुनिया का सबसे लग्जरी हवाई जहाज खरीदने के लिए पैसा है.
20000 करोड़ से भी अधिक राशि से नया संसद भवन बनाने के लिए पैसे हैं. लेकिन रेलवे कर्मचारियों के हक का पैसा देने के लिए पैसे नहीं हैं.
हर साल ये बोनस दशहरे से पहले जाता था. लेकिन इस बार कोई उम्मीद नहीं दिख रही. रेलवे कर्मचारियों के बोनस से संबंधित फाइल रेलवे बोर्ड ने काफी पहले से वित्त मंत्रालय को भेजी हुई है, जिस पर अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. देशभर की रेलवे यूनियन ने तय किया है कि अगर 21 अक्टूबर तक बोनस का ऐलान नहीं किया गया तो रेलवे कर्मचारी 22 अक्टूबर को दो घंटे तक रेल का चक्का जाम करेंगे.
पिछले साल रेलवे ने प्रत्येक कर्मचारी को 18 हजार रुपए के आसपास बोनस दिया था. इसी हिसाब से देखें तो लगभग 12 लाख कर्मचारियों को बोनस बांटने के लिए रेलवे को 20 अरब के आसपास रुपये चाहिए. जो प्रधानमंत्री के प्लेन की कीमत 8500 हजार करोड़ के सामने बहुत मामूली रकम है.
बोनस कोई खैरात नहीं है. यह उनके हक का पैसा है. रेलवे की 1974 की ऐतिहासिक हड़ताल के बाद रेल कर्मचारियों को बोनस मिलना शुरू हुआ. इसके लिए रेल कर्मचारियों ने अपनी कुर्बानियां भी दीं. लंबे संघर्ष के बाद रेल कर्मचारियों को बोनस का अधिकार मिला था.
और सिर्फ बोनस की ही बात नहीं है. रेलवे कर्मचारियों की पेंशन पर भी संकट है. रेलवे मंत्रालय के पास तकरीबन 15.5 लाख रिटायर्ड कर्मचारी हैं. कुछ महीने पहले खबर आयी थी कि रेलवे बोर्ड ने पेंशन की रकम के बारे में भी हाथ ऊंचे कर दिये हैं. रेलवे ने वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह पेंशन के बोझ से उसे मुक्त कराये. क्योंकि वह हर वर्ष अपनी आय से 50 हजार करोड़ रुपये का भुगतान इस मद में कर रहा है.
मोदी सरकार कोरोना संकट से उबरने के लिए अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोक दिया है. डीए- महंगाई भत्ता जनवरी में 4 प्रतिशत बढ़ा था, वह अब तक नहीं मिल पाया है. जुलाई की घोषणा अभी तक नहीं हुई है. हालांकि सरकार ने महंगाई भत्ता को जुलाई 2021 तक के लिए अधिकारिक रूप से घोषणा कर के फ्रीज कर दिया. बाद में ही पता चलेगा कर्मचारियों को ये कैसे मिलेगा.
यानी न बोनस है, न महंगाई भत्ता. अब तो ये ठिकाना भी नहीं कि अगले साल पेंशन भी मिल पायेगी या नहे!
जैसे राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने से इनकार कर रही है मोदी सरकार वैसे ही एक दिन कभी भी बोनस महंगाई भत्ता और पेंशन देने से इनकार भी कर सकती है. कुल मिलाकर मोदी सरकार ने छह साल के कार्यकाल में देश को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया है. रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी. अब मोदी सरकार और उनके मंत्री और पार्टी सारा ठिकरा कोरोना पर ही फोड़ने के लिए रणनीति बनाने में जुट गयी है.
डिस्क्लेमर: लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं और ये इनके निजी विचार हैं.