Hazaribagh: मामला बनादाग रेलवे साइडिंग पर पानी के छिड़काव को लेकर है. इसे रेन गन कहा जाता है. दरअसल एनटीपीसी के बनादाग रेलवे साइडिंग पर रेन गन के कार्यरत होने की बात उपायुक्त ने अपने एनजीटी को भेजे रिपोर्ट में की थी. लगातार डॉट इन ने जब ग्राउंड जीरो का दौरा किया तो हकीकात कुछ और था. पता चला कि उसे हमेशा नहीं चलाया जाता है.
जब इस खबर को प्रमुखता से दिखाया गया तो उसके बाद एनटीपीसी हरकत में आयी. अब रेन गन का परिचालन सुचारू रूप से होने लगा. एनटीपीसी के इस साइडिंग इलाके से पकरी बरवाडीह से निकले कोयले को रेलवे रैक में भरकर एनटीपीसी के विभिन्न संयंत्रों में भेजा जाता है. खनन इलाके से हाईवा में भर कर कोयले को रेलवे साइडिंग लाया जाता है. फिर यहां से इसे मालगाड़ी में भरा जाता है. इस पूरे कार्य में धूल ना उड़े इसकी रोकथाम के लिए वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम लगाया गया था.
साइडिंग के दोनों तरफ कुल 30 रेन गन लगाए गए हैं. इसके संचालन के लिए 2 लोग कार्यरत हैं. पानी के छिड़काव के लिए 1.2 लॉक लीटर का टैंक बनाया गया है. इस रेन गन से 20 से 25 मीटर की ऊंचाई पर पानी का फुहारा छोड़ा जाता है. इससे पूरे क्षेत्र में पानी की बूंदें गिरती हैं जो हवा में फैले धूलकन को नीचे गिरा देती है. इस कारण प्रदूषण बाहर नहीं फैलता है.
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