Bismay Alankar/Gaurav Prakash
Hazaribagh: साइबर डिफेंस में भारत को लगभग 10 लाख विशेषज्ञों की जरूरत है. वर्तमान हालात यह है कि देश में तत्काल एक लाख साइबर विशेषज्ञों के पद रिक्त हैं. वहीं पूरे विश्व में साइबर विशेषज्ञों के 31 लाख पद खाली पड़े हैं. यह जानकारी साइबर विद्यापीठ के मुख्य संरक्षक बालाजी वेंकटेश्वर और अध्यक्ष शशांक एस गरुड़यार ने दी. उन्होंने बताया कि साइबर रक्षा इंजीनियरिंग प्रतिभा में ही राष्ट्र की सुरक्षा की कुंजी है. आज दुनियाभर में लगभग चार मिलियन साइबर सुरक्षा नौकरियां उपलब्ध हैं.
उन्होंने कहा कि भारत को तुरंत 10 लाख प्रशिक्षित साइबर रक्षक की आवश्यकता है. दुनिया की सबसे बड़ी मानव संसाधन परामर्श फर्म माइकल पेज के अनुसार, भारत को 2025 तक 1.5 मिलियन और उसी समय दुनिया को लगभग सात मिलियन साइबर रक्षक की आवश्यकता होगी. दरअसल वर्चुअल वर्ल्ड में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. जरा सी चूक का फायदा उठाकर साइबर ठग लोगों को कंगाल कर सकते हैं. आए दिन हर थाने में एक से दो मामले साइबर अपराध के आ रहे हैं. ऐसे में साइबर डिफेंस बड़ी चुनौती बनती जा रही है. जिस रफ्तार से साइबर अपराध बढ़े हैं, उसमें साइबर प्रोफेशनल नहीं तैयार हो रहे हैं. अब आलम यह है कि एक लाख से अधिक पद सिर्फ भारत में ही खाली पड़े हैं. ऐसे में जरूरत है कि बड़ी संख्या में साइबर डिफेंस की फौज खड़ी की जाए.
इस संबंध में बालाजी और शशांक कहते हैं कि साइबर रक्षा क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. वर्तमान में प्रतिभा की कमी है. कहा कि साइबर विद्यापीठ ने साइबर रक्षा में बहुत आवश्यक प्रतिभा पूल बनाने के लिए साहसी कदम उठाया है. उन्होंने साइबर प्रतिभा में अंतर को पाटने के लिए इस तरह के प्रयास का समर्थन करने के लिए हर कॉरपोरेट इकाई से आह्वान करने की बात कही. वर्तमान दौर में साइबर ज्ञान जरूरी हो गया है. हर क्षेत्र में साइबर हमले से लोग जूझ रहे हैं. वैसे भी साइबर का व्यापक क्षेत्र है. चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या बिजली का या बैंकिंग सेक्टर का. अब वह वक्त दूर नहीं कि साइबर के बारे में पूरी जानकारी रखने की आवश्यकता आ गई है. ऐसे में नई पीढ़ी के लिए साइबर ज्ञान अनिवार्य हो गया है. अब पाठ्यक्रम के माध्यम से इसकी पढ़ाई भी शुरू की जा रही है.
विभावि में 17 सितंबर से शुरू होगी पढ़ाई
इसी मकसद से VBU हजारीबाग में 17 सितंबर से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन साइबर सिक्योरिटी एंड डिफेंस पाठ्यक्रम शुरू करेगा. पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने वाला यह संभवत: पहला विश्वविद्यालय होगा. कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने बताया कि इसी वर्ष 17 सितंबर से पाठ्यक्रम की शुरुआत यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में की जाएगी. पूरी तरह ऑनलाइन पाठ्यक्रम को शुरू करने के लिए विश्वविद्यालय ने भारत के प्रतिष्ठित संस्थान साइबर विद्यापीठ के साथ एमओयू साइन किया है. कोर्स के लिए महज 80 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में साइबर अपराध बढ़ता जा रहा है. आने वाले दिनों में सभी क्षेत्रों में साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए प्रोफेशनल की जरूरत होगी. प्रोफेशनल अब विश्वविद्यालय देश को देगा. हजारीबाग समेत पूरे राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि शिक्षा जगत के क्षेत्र में हुई है.
साइबर मामले में क्या है देश की स्थिति
साइबर विद्यापीठ के सीइओ शशांक ने साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में रिक्त पद के अनुरूप पर्सनल तैयार नहीं किए जाने की बात कही है. उनका कहना है कि पूरी दुनिया में वर्तमान में 21 लाख और भारत में एक लाख पद रिक्त हैं. आईटी के ऑफेंस मामले में भारत अच्छा है. साइबर ऑफेंस के मामले में देश को मजबूत बनना है. पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए अभ्यर्थियों को पाइथन टेस्ट क्लियर करना होगा. उन्होंने पाइथन नहीं सीखा है. वह भी सीख कर टेस्ट में शामिल हो सकते हैं. साइबर विद्यापीठ के चीफ मेंटर बालाजी का कहना है कि हमें सिस्टम इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा. पिछले साल पूरे देशभर में मात्र 20 गवर्नमेंट कॉलेज में साइबर सिक्योरिटी का कोड लागू हुआ है.
पांच मॉडल पर होगी पढ़ाई
बताया गया कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पहले रांची बीआईटी मेसरा के साथ एमओयू हुआ है. टीचर्स को इस क्षेत्र में ट्रेंड करना है. साइबर सिक्योरिटी का वर्तमान में चार साल का कोर्स होता है. उन्होंने उसे एक साल का बनाया है. विद्यार्थियों की पढ़ाई पांच मॉडल पर होगी. इसमें विद्यार्थी लैपटॉप-डेस्कटॉप से ऑनलाइन क्लास कर पाएंगे.
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