कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव का कार्यकाल पूरा होते ही विभावि बना राजनीति का अखाड़ा
एक-दूसरे के खिलाफ विभिन्न दलों के नेताओं की बयानबाजी तेज, सोशल मीडिया पर भी बहस
कोई पूर्व वीसी तो कोई प्रभारी वीसी के समर्थन में
Hazaribagh : कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव का कार्यकाल 31 मई को पूरा होते ही विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग राजनीति का अखाड़ा बन गया है. पहले पर्दे के पीछे से खेल चला और मौका मिलते ही वीसी बंगला को सॉफ्ट टारगेट बना सियासी जंग तेज हो गई. राजभवन तक पत्राचार होने लगा. कोई पूर्व वीसी, तो कोई प्रभारी वीसी के समर्थन में उतर आये. एक-दूसरे के खिलाफ विभिन्न दलों के नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई. सोशल मीडिया वाट्सएप और फेसबुक पर भी बहस तेज हो गई है. दरअसल कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव के तीन साल के कार्यकाल पूरा होने के बाद रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा को विनोबाभावे विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति बनाया गया.
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पूर्व वीसी ने बंगला खाली नहीं किया
दो जून को डॉ अजीत कुमार सिन्हा द्वारा प्रभार लेते ही आनन-फानन में पूर्व वीसी को बंगला खाली करने का आदेश विभावि के रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर से निकाला गया. उन्हें चार जून तक बंगला खाली करने का आदेश दिया गया है. पत्र में यह भी कहा गया कि अगर उन्हें परेशानी है, तो विभावि के गेस्ट हाउस में उन्हें जगह दिला दी जाएगी. यह बात पूर्व वीसी को गंवारा नहीं लगा और उन्होंने बंगला खाली नहीं किया. उनका कहना है कि वह यहां तीन माह तक रह सकते हैं. इस तरह आनन-फानन में उनसे सरकारी आवास को कोई खाली नहीं करवा सकता.
भाजपा नेता ने राज्यपाल को लिखा पत्र
उनके समर्थन में भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश मंत्री विशाल वाल्मिकी उतर आए हैं. उन्होंने राजभवन को पत्राचार कर यहां हो रही राजनीति से अवगत कराया है. साथ ही कहा है कि प्रभारी वीसी अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर काम कर रहे हैं. राज्यपाल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि प्रभारी वीसी को सिर्फ रूटीन वर्क के लिए भेजा गया है. लेकिन आते के साथ ही कुलपति कार्यालय में कार्यरत सूर्यकांत गांगुली एवं अन्य तीन कर्मचारियों का स्थानांतरण मार्खम कॉलेज कर दिया गया. यह कहीं से सही नहीं है और राज्यपाल के आदेश की अवहेलना भी है. यह भी बताया गया है कि कैसे विभावि की एक लॉबी अभी प्रभारी कुलपति के साथ हो गई है और पूर्व वीसी को परेशान करने में लगी है. उसमें कई पदाधिकारी और कर्मी शामिल हैं. उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
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पूर्व वीसी पर झामुमो छात्र नेता ने बोला हमला
इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के छात्र नेता चंदन सिंह ने कुलपति और राज्यपाल को आवेदन लिख कर विभावि में उत्पन्न समस्याओं से अवगत कराया है. पत्र में छात्र नेता ने पूर्व कुलपति द्वारा वीसी आवास खाली नहीं करने को विश्वविद्यालय की गरिमा और कुलपति की मर्यादा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी घोर निंदा की है. साथ ही पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
जदयू नेता ने वीसी बंगला को इतनी जल्द खाली कराने पर जताई आपत्ति
वहीं जदयू नेता सह समाजसेवी राकेश गुप्ता ने राजभवन को पत्राचार कर यह कहा है कि पूर्व वीसी को अगर दबाव डालकर रेसिडेंस खाली कराया गया, तो वह धरना-प्रदर्शन करेंगे. राजभवन ने उन्हें आवास खाली करने का कोई फरमान जारी नहीं किया है. सरकारी नियमानुसार वह तीन माह तक वहां रह सकते हैं. रेसिडेंस के मामले पर पक्ष-विपक्ष में सोशल मीडिया पर भी कई लोग शब्दों के तीर चला रहे हैं.