Surjit Singh
Ranchi: जमशेदपुर पुलिस ने जनवरी 2016 में जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें से तीन लोगों को अदालत ने बरी कर दिया. जबकि अहमद मसूद उर्फ अकरम शेख उर्फ मोनू को अदालत ने आठ साल की सजा सुनायी. हालांकि वह कोर्ट के फैसले के वक्त तक 8 साल 10 महीना जेल में गुजार चुका था. इस कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. देखा जाये तो अहमद मसूद ने सजा से अधिक समय जेल में गुजारे.
जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें मौलाना अब्दुल रहमान उर्फ मौलाना कटकी, मौलाना कलीमुद्दीन, अब्दुल सामी और अहमद मसूद अकरम शेख उर्फ मोनू.
अब तक आपने पढ़ा…
वो आतंकवादी नहीं था – 03 का वीडियो…
लेकिन जरा ठहरिये, अहमद मसूद को भी अदालत ने आतंकवादी नहीं माना है. उसे अवैध हथियार रखने का दोषी पाया गया है. यह वही अहमद मसूद है, जिसे 22 जनवरी 2016 को पूछताछ के लिए पुलिस ने थाना बुलाया था. पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया और बाद में पुलिस ने उसके घर से हथियार बरामद किया था.
वो आतंकवादी नहीं था- 02 का वीडियो…
अलकायदा के कुख्यात आतंकवादी होने की यह कहानी बिस्टुपुर के थाना प्रभारी को दिल्ली से मिली एक गुप्त सूचना से शुरु होती है. थाना प्रभारी को गुप्त सूचना मिली थी कि अहमद मसूद अलकायदा का आंतकवादी है. 22 जनवरी 2016 को मिली इस सूचना पर थाना प्रभारी ने सनहा दर्ज किया. अहमद मसूद को थाना बुलाकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया.
थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार ने अहमद मसूद को दोबारा 25 जनवरी को फिर बुलाया. पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया गया. उसके घर पर देर रात छापेमारी की गयी. घर से जापान में बना पिस्तौल और गोलियों के अलावा उर्दू में कुछ पेपर कटिंग और किताबें वगैरह मिली.
वो आतंकवादी नहीं था- 01 का वीडियो…
पुलिस ने अहमद मसूद के घर से मिले उर्दू भाषा के पेपर कटिंग व अन्य कागजों को आतंकवादी संगठन से जुड़ा दस्तावेज माना. छापेमारी के दौरान मसूद के घर के बाहर बहुत लोग थे. लेकिन कोई जब्ती सूची का गवाह नहीं बना. इसके बाद पुलिस ने वहां से मोटरसाइकिल पर गुजर रहे दो लोगों को जब्ती सूची का गवाह बनाया.
अदालत में जिरह के दौरान यह पता चला कि जिन दो लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया, वह दोनों गौ रक्षा समिति के सदस्य हैं. पुलिस की कहानी में मसूद ने अलकायदा से जुड़े होने में मौलाना कटकी, मौलाना कलीमुद्दीन और अब्दुल सामी का नाम लिया.
पुलिस की कहानी में मसूद ने अपने बयान में कहा कि वह जेहादी ट्रेनिंग लेने सउदी गया था. अब्दुल सामी पाकिस्तान से जेहादी ट्रेनिंग लेकर लौटा है. हालांकि पुलिस इनके आतंकवादी संगठन से जुड़े होने और जेहादी ट्रेनिंग लेने की बात कोर्ट में साबित नहीं कर सकी.
ऐसी-ऐसी धाराओं के तहत चलाया गया मुकदमा
1. भारतीय दंड संहिता (IPC):
धारा 121/34: देश के खिलाफ युद्ध करना या युद्ध छेड़ना.
धारा 121A/34: सरकार के खिलाफ युद्ध की साजिश.
धारा 124A/34: देशद्रोह (राजद्रोही गतिविधियां और घृणा फैलाना).
धारा 120B: आपराधिक षड्यंत्र.
2. शस्त्र अधिनियम, 1959:
धारा 25(1-A): गैरकानूनी रूप से हथियार और गोला-बारूद रखना.
धारा 26(II): अवैध हथियारों का उपयोग या रखने से संबंधित अपराध.
3. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA):
• धारा 16: आतंकवादी कृत्य को अंजाम देना.
• धारा 17: आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना.
• धारा 18: आतंकवादी गतिविधि की साजिश.
• धारा 18(B): आतंकी समूहों में भर्ती और प्रशिक्षण.
• धारा 19: आतंकी समूह को शरण देना.
• धारा 20: आतंकवादी संगठन का सदस्य होना.
• धारा 21: आतंकवादी गतिविधियों में सहायता देना.
• धारा 23: आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग किए जाने वाले हथियारों और विस्फोटकों से संबंधित अपराध.
4. 17 C.L.A. अधिनियम, 1908: ग़ैर कानूनी गतिविधियों में भागीदारी.