Ranchi: राज्य में कोरोना संक्रमितों को जरूरी दवाएं डॉक्सीसाइक्लिन, रेमेडिसविर, फैवीपिरावीर उपलब्ध नहीं होने पर झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीर नाराजगी जतायी है. अदालत ने कहा है कि आम लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेवारी है, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. तीस हजार में रेमेडिसविर इंजेक्शन बेचे जाने की खबर पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि ड्रग्स कंट्रोलर और ड्रग्स इंस्पेक्टर अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं.
शनिवार को कोरोना से निपटने के इंतजाम को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मौखिक कहा कि कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में दवाओं का कृत्रिम आभाव किया गया है. किसी भी कीमत में कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सरकार को आम लोगों को दवाएं उपलब्ध कराने का निर्देश अदालत ने दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले का विस्तृत आदेश बाद में पास किया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार अपनी दायित्वों का निर्वहन करे और आम लोगों को दवाएं उपलब्ध कराए.
ड्यूटी को ईमानदारी से निभाएं
सुनवाई के दौरान मौजूद ड्रग कंट्रोलर से जब अदालत ने पूछा कि दवाओं की किल्लत क्यों है, तो वह संतोषजनक जवाब नही दे सकीं. उन्होंने अदालत को बताया कि मांग बढ़ जाने से दवाओं की कमी हो गयी है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि दवाओं का पूरा ब्योरा आपके पास होता है. आप क्या कर रही हैं. अपने दायित्व का सही तरीके से निर्वहन करें.
दवा की राशनिंग से इनकार
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार रेमेडिसिविर और अन्य दवाओं का राशनिंग कर रही है. इस कारण सीमित दवाएं आ रही हैं. इसका केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार किसी भी दवा की राशनिंग नहीं कर रही है. राज्य सरकार गलत जानकारी दे रही है.
स्वास्थ्य सचिव के अनुपस्थित रहने पर कोर्ट नाराज
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव को भी हाजिर होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह अनुपस्थित रहे. महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सीएम ने बैठक बुलायी है, इस कारण वह कोर्ट में नही आ सके हैं. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि सचिव कोर्ट के आदेश को हल्के में ले रहे हैं. इस मानसिकता को बदलनी होगी.
रिम्स मामले में सरकार की सराहना
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि रिम्स की जीबी में जो भी प्रस्ताव आए थे सभी को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है. सीटी स्कैन मशीन की खरीद का आदेश दे दिया गया है. 90 दिनों के अंदर मशीन इंस्टॉल हो जाएगी. कई और मशीनों को खरीदने का ऑर्डर दिया गया है. तकनीशियनों की नियुक्ति के लिए ऑनलाइन इंटरव्यू भी शुरु कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने सरकार की सराहना की.
आइसोलेशन सेंटर पर जवाब मांगा
एक हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से पीपीपी मोड पर आइसोलेसन सेंटर बनाने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया इस याचिका में कहा गया था कि अपार्टमेंटों और भवनों में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. राज्य सरकार को पीपीपी मोड पर आइसोलेशन सेंटर बनाना चाहिए, ताकि लोग आइसोलेशन सेंटर में रह सकें.
हाईकोर्ट स्वास्थ्य केंद्र को कोविड अस्पताल बनाने पर जवाब तलब
एडवोकेट एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. एसोसिएशन ने याचिका दायर कर कोरोना से संक्रमित हो रहे वकीलों और उनके लिपिकों और उनके परिवार के सदस्यों के बेहतर इलाज के लिए हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र को 30 बेड वाले कोविड अस्पताल बनाने का आग्रह किया है .
याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के दौरान एसोसिएशन के सदस्य सभी एहतियात बरत रहे है. मौजूदा स्थिति में वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. राज्य के अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था भी चरमरा गयी है. ऐसे में हाईकोर्ट के वकीलों और इनके परिजनों के लिए हाईकोर्ट परिसर में स्थित स्वास्थ्य केंद्र को 30 बेड वाले कोविड बेड वाले अस्पताल में तत्काल बदलने का निर्देश सरकार को दिया जाए. यहां ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड, जरूरी दवाएं, एंबुलेंस, मेडिकल स्टॉफ और अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है, ताकि तत्काल इलाज मिल सके.