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एचईसी और मेकॉन ने विदेशी कंपनियों को छोड़ा पीछे, इसरो के लिए बनाया अत्याधुनिक उपकरण

Ranchi : झारखंड की राजधानी में स्थित एचईसी और मेकॉन एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ने जा रहा है. इसरो द्वारा अगस्त 2021 में विशेष सेटेलाइट और रॉकेट एक साथ लांच किया जाएगा. जिसके लिए अत्याधुनिक तरीके से लांचिंग पैड का निर्माण हेवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी) में किया जा रहा है. वहीं मेकॉन में सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग का डिज़ाइन तैयार कर लिया गया है. सेमी क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए पहले दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/download-40.jpg"

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जाने एचईसी में बन रहे लांचिंग पैड की क्या है विशेषता :

वैसे तो एचईसी पहले से ही लांचिंग पैड बनाता रहा है, लेकिन इस बार एचईसी में बन रहा लांचिंग पैड, अब तक का सबसे बड़ा लांचिंग पैड होगा. नए लांचिंग पैड में कुछ बदलाव किए गए हैं. इसरो अपने नए अंतरिक्ष कार्यक्रम में इस लांचिंग पैड का इस्तेमाल करेगा. इस लांचिंग पैड का वजन पहले की अपेक्षा अधिक होगा. जिसका डिजाइन इसरो ने खुद उपलब्ध कराया है. लांचिंग पैड का वर्क ऑडर करीब 45 करोड़ का है. हालांकि इसमें मुनाफे का ध्यान नहीं रखा गया है. इस लांचिंग पैड का प्लेटफॉर्म 80 मीटर रहेगा. इसमें टावर क्रेन, हॉरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, 400 टन इओटी क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म के उपकरण लगेंगे. सभी का निर्माण एचईसी में ही किया जा रहा है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/pslv-c29_on_the_first_launch_pad_with_vehicle_assembly_building_in_background-1.jpg"

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इसरो के लिए तीन लांचिंग पैड बना चुका है एचईसी : 

इसरो के लिए एचईसी ने अबतक तीन लांचिंग पैड बनाए हैं. इन लांचिंग पैड से चंद्रयान समेत कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है. चंद्रयान टू भी एचईसी के लांचिंग पैड से ही भेजा गया था. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/vra97e022f431.jpg"

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मेकॉन ने तैयार किया देशी तकनीक से सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी :

देश में सेमी क्रायोजनिक इंजन पहले विदेशों से आता था. मगर अब इसका निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक के तहत भारत में ही इसरो द्वारा कराया जा रहा है. जिसका टेस्टिंग फैसिलिटी मेकॉन द्वारा खुद की तकनीक से उपलब्ध कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है. देशी इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी से अंतरिक्ष में राकेट द्वारा पेलोड ले जाने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. महेन्द्रगिरि स्थित इसरो के सेंटर के लिए डिज़ाइन तैयार किया गया है. अब सेमी क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे पैसों की भी बचत होगी. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/201107070030HQ.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> अबतक अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट सिर्फ चार टन ही उपकरण ले जा सकता था. अब देसी इंजन बनने से सामान ले जाने की क्षमता छह टन हो जाएगी. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/MECON-1280x720-1.jpg"

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