हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को हिजाब विवाद पर फैसला देते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दीं. अदालत ने इसके साथ ही राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध बरकरार रखा.स्कूल की ड्रेस का नियम एक उचित पाबंदी है
हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की ड्रेस का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं. कर्नाटक सरकार ने हर किसी से आदेश का पालन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि शिक्षा जरूरी है. वहीं मुस्लिम छात्र संघ ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ ने ‘संविधान विरोधी आदेश’ के खिलाफ प्रदर्शन किया और संवैधानिक तथा निजी अधिकारों की रक्षा के सभी प्रयास करने का आह्वान किया. सरकार ने यह भी कहा कि वह ‘गुमराह’ हुई मुस्लिम लड़कियों का दिल जीतने की कोशिश की जाएगी. एक जनवरी को उडुपी में एक कॉलेज की छह छात्राएं ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थीं और उन्होंने हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने से रोकने पर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ रोष व्यक्त किया था.मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी
हाईकोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है. इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है. मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इसे भी पढ़ें – रांची">https://lagatar.in/2-11-lakh-children-of-12-to-14-years-of-ranchi-will-get-kovid-vaccine/">रांचीके 12 से 14 साल के 2.11 लाख बच्चों को लगेगा कोविड टीका [wpse_comments_template]