Search

हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मकसद सिर्फ हमें अस्थिर करना नहीं, भारत की शासन प्रणाली को भी बदनाम करना था : अडानी

 MumbaI :  अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा कि पिछले साल जनवरी में आयी अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट न केवल विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार वाले समूह को अस्थिर करने, बल्कि भारत की शासन (गवर्नेंस) प्रणाली को राजनीतिक रूप से बदनाम करने के लिए भी लायी गयी थी. शॉर्ट-सेलर एवं निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. उस समय समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था. ">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">

  नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

अडानी समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली हुई थी

अडानी समूह उच्चतम न्यायालय से भी राहत मिली जब न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि उसे अतिरिक्त जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, यह रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली हुई थी. इसका असर यह हुआ था कि 2023 की शुरुआत में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर उद्यमी के रूप में सूचीबद्ध गौतम अडानी शीर्ष 20 से भी बाहर हो गये. बाद में समूह ने इस नुकसान की काफी हद तक भरपाई कर ली है.

हमारी नींव हिलाने की कोशिशों के बावजूद हम मजबूती से खड़े रहे 

अडानी ने गुरुवार को यहां एक निजी कार्यक्रम में कहा, पिछले साल 24 जनवरी को हम पर एक अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने बड़े पैमाने पर हमला किया था. इसका उद्देश्य सिर्फ हमें अस्थिर करना नहीं था बल्कि भारत की शासन प्रथाओं को राजनीतिक रूप से बदनाम करना भी था. उन्होंने कहा, हमारी नींव हिलाने की कोशिशों के बावजूद हम मजबूती से खड़े रहे और हमने न केवल अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा की बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि हम अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित रखें. अडानी समूह के मुखिया ने कहा कि इस प्रकरण ने कई बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए भी प्रेरित किया. उन्होंने कहा, इस प्रकरण ने हमें अपनी जुझारू क्षमता पर भी विश्वास दिलाया. हमारा पुनरुद्धार मजबूत होकर वापसी करने के सार को उजागर करता है, जो हर गिरावट के बाद उठने की भावना का प्रतीक है. [wpse_comments_template]  
Follow us on WhatsApp