Ranchi : झारखंड सरकार ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद सरकारी स्तर पर इसकी कोशिश भी शुरु की गई हैं. बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी देने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री भी तत्पर दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चाहते हैं कि इस साल बड़े पैमाने पर युवकों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाये. लेकिन हाल की घटनाओं से यह सवाल उठने लगा है कि क्या झारखंड सरकार इस साल युवकों को रोजगार देने में सफल हो पायेगी.
वर्ष 2021 को खत्म होने में अब गिनती के दिन बचे हैं. यही वजह है कि राज्य के बेरोजगार अभ्यर्थी अब सवाल उठाने लगे हैं कि सरकार की यह घोषणा कितनी सफल होगी. अभ्यर्थी कई तरह के सवाल उठा रहे हैं. जिसमें पहला तर्क झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC), झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC), शिक्षक पात्रता परीक्षा (टैट) पास अभ्यर्थी क्रमशः पूर्व के नियुक्ति विज्ञापनों को रद्द किया जाना है. जबकि दूसरा तर्क जेपीएससी परीक्षा में हुए कथित धांधली के आरोपों सहित शिक्षक नियुक्ति के लिये विज्ञापन जारी नहीं होना बता रहे हैं.
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JSSC ने पूर्व में जारी विज्ञापन को रद्द किया
सरकार का वायदा तभी पूरा होगा, जब जेएसएससी इस मामले में तेजी से काम करे. क्योंकि सबसे अधिक नियुक्ति जेएसएससी के स्तर से ही होती हैं. नियुक्ति को लेकर जेएसएससी के प्रयास कमजोर व टाल-मटौल वाला दिख रहा है. नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के बजाय जेएसएससी ने पूर्व में जारी 6 विज्ञापनों को ही रदद् कर दिया. इसमें झारखंड उत्पाद विभाग में सिपाही नियुक्ति, स्पेशल ब्रांच में सिपाही नियुक्ति, झारखंड एएनएम (नियमित करने) बैकलॉग, झारखंड सामान्य स्नातक, विभिन्न जिलों में जेलों में चालक की नियुक्ति शामिल है.
इन विज्ञापनों रद्द करने के पीछे जेएसससी का अपना तर्क है. जेएसएसी का कहना है कि विज्ञापन वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के हैं. इनमें से कुछ के तो परीक्षा भी ली जा चुकीं थी. आयोग ने तर्क दिया है कि इनका नियुक्ति पत्र अभी तक जारी नहीं हुआ हैं. ऐसे में नियुक्ति प्रकिया को अपूर्ण माना जाएगा.
इसके उलट अभ्यर्थियों का तर्क है कि अगर पूर्व के नियुक्तियों को पूरा किया जाता, तभी तो नियुक्ति वर्ष माना जाता. लेकिन हो रहा है उलटा. अब फिर से विज्ञापन आएगा और उसके पूरा होने में काफी समय लगेगा. तो इस साल 2021 को हम नियुक्ति वर्ष कैसे मानें.
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सिविल सेवा परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार का आरोप
करीब पांच साल (दिसंबर 2016) के बाद JPSC द्वारा संयुक्त असैनिक सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की गयी. दावा किया गया कि परीक्षा कदाचार मुक्त व निष्पक्ष तरीके से हुई. लेकिन प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट सामने आने के बाद अभ्यर्थियों ने धांधली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया है.
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टैट पास अभ्यर्थियों का ख्याल नहीं
वर्ष 2016 के टैट पास अभ्यर्थी शिक्षक बहाली का विज्ञापन नहीं निकाले जाने की वजह से नाराज है. वर्ष 2016 की परीक्षा में टैट पास हुए अभ्यर्थियों की संख्या करीब 53000 के करीब है. इन अभ्यर्थियों को प्राथमिक और मध्य विद्यालय की नियुक्ति प्रक्रिया में अबतक मौका नहीं मिल पाया है. वर्ष 2015-16 में जो नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी, उसमें वर्ष 2013 में टैट परीक्षा पास किये अभ्यर्थियों को ही मौका मिला था. 2013 टैट परीक्षा मे करीब 66,364 अभ्यर्थी पास हुए थे. इसमें से करीब 18.000 अभ्यर्थियों की नियुक्ति ही शिक्षक के रूप में हो पायी है. यानी अभी भी करीब 48,000 अभ्यर्थी बचे हैं. कुल मिलाकर देखे, तो टैट पास अभ्यर्थियों की संख्या 1.01 लाख (53000 + 48000) के करीब है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक टैट परीक्षा कई अभ्यर्थी पारा शिक्षक में रूप में कार्यरत है, जिन्हें उनके लिए बनाये जाने वाले सेवा शर्त नियमावलियों को एडजस्ट किया जाएगा. फिर भी हजारों की संख्या में टैट पास अभ्यर्थी बेरोजगार ही रह जाएंगे. अभ्यर्थियों का तर्क है कि इतने बेरोजगारों के बाद भी नियुक्ति वर्ष 2021 में शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को लेकर अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
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