New Delhi/Ranchi : वैक्सीनेशन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पत्र के समर्थन में नेशनल कांफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ) आ गया है. ह्यूमन राइट ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय सचिव ए. मोहम्मद यूसुफ ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने पत्र लिखकर 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए राज्य को मुफ्त टीके देने का जो आग्रह किया है, उसका ऑर्गेनाइजेशन समर्थन करती है. पेशे से वकील मो. यूसुफ ने कहा है कि उनकी पार्टी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने भी गत 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसपर गुरुवार को सुनवाई हुई. ऑर्गेनाइजेशन ने सुप्रीम कोर्ट से मांग किया था कि देश में हर व्यक्ति को मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए कोविड-19 टीकाकरण की एक समान अखिल भारतीय नीति तैयार करने का निर्देश दिया जाए.
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1100 करोड़ का वित्तीय बोझ महामारी में झारखंड को करेगा प्रभावित
बता दें कि हेमंत सोरेन ने गत 31 मई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य को महामारी से निपटने के लिए मुफ्त टीके देने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि राज्य के लिए 1.57 करोड़ लाभार्थियों (18-44 वर्ष की आयु वर्ग में) को कवर करने में लगभग 1,100 करोड़ रुपये वित्तीय बोझ की संभावना है, जो इस महामारी में झारखंड जैसे राज्य की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करेगा. सीएम ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि राज्यों को अपने दम पर टीके खरीदने के लिए बाध्य किया गया है. यह सहकारी संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है.
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केंद्र की टीकाकरण नीति को सुप्रीम कोर्ट ने बताया था “मनमाना और तर्कहीन”
नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय सचिव ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पहली नजर में केंद्र की टीकाकरण नीति, जो 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को मुफ्त टीकाकरण नहीं देती है, को “मनमाना और तर्कहीन” बताया था. केंद्र की टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से ऑर्गेनाइजेशन खुश हैं.
अपनी निगरानी में स्वतंत्र निकाय का गठन करे सुप्रीम कोर्ट
अपनी याचिका में ऑर्गेनाइजेशन ने भी मांग की है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुफ्त और समान टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में एक स्वतंत्र निकाय का गठन करे.