Impact: मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी का पदस्थापन वापस वन विभाग में हुआ इसपर प्रदीप यादव ने सवाल किया कि क्या मनरेगा एक्ट के विरुद्ध जाकर जेएसएलपीएस जैसी सरकारी संस्था से सोशल ऑडिटिंग कराने के मामले में मनरेगा आयुक्त के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा. इसपर जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मामले में जांच होगी. अगर जांच में आरोप सही पाया गया तो निश्चित तौर पर दोषी अधिकारी पर कार्रवाई होगी. बता दें मनरेगा आयुक्त आईएफएस सिद्धार्थ त्रिपाठी थे. सरकार ने एक सप्ताह पहले ही उनका तबादला करते हुए उनकी सेवा वापस वन विभाग को कर दी है.
3 महीने से ज्यादा एक IFS नहीं बने रह सकता IAS कैडर पर
22 मार्च 2019 को कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राज्यभाषा विभाग में सूचना का अधिकार के तहत एक जानकारी मांगी जाती है. पूछा जाता है कि कितने समय तक एक नॉन आईएएस कैडर के पदाधिकारी का आईएएस कैडर के पद पर बने रहना वैधानिक है. जवाब मिला कि इसकी जानकारी The Indian Administrative Service (Cadre) Rules 1954 में है. इसे भी पढ़ें- 3">https://lagatar.in/ifs-siddharth-tripathi-has-held-the-post-of-mnrega-commissioner-for-5-years-as-per-rules-cannot-stay-more-than-3-months/27775/">3महीने से ज्यादा नहीं रह सकते पर 5 सालों से मनरेगा आयुक्त के पद पर जमे हैं IFS सिद्धार्थ त्रिपाठी वेबसाइट से इस बाबत जानकारी ली जा सकती है. नियम के मुताबिक, कोई भी नॉन आईएएस कैडर आईएएस की पद पर सिर्फ तीन महीने ही रह सकता है. अगर राज्य सरकार उस नॉन आईएएस कैडर की अवधि विस्तार करना चाहती है, तो उसे भारत सरकार से इसकी अनुमति लेनी होगी. वो भी सिर्फ छह महीने के लिए. इसके बाद भी राज्य सरकार नॉन आईएएस कैडर का अवधि विस्तार करती है, तो केंद्र सरकार को इसके लिए यूपीएससी को लिखना होगा. वहां से अनुमति मिलने के बाद ही नॉन कैडर आईएएस की अवधि विस्तार हो सकती है. इसे भी देखें-