Bermo : बेरोजगारी की मार ऐसी है कि अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारी को सरकार की हर उस निर्णय पर हां में हां मिलानी पड़ती है जो वे कर नहीं सकती है. लेकिन फिर भी वे आदेश का पालन कर करती हैं. कोरोना काल में ऐसा ही राज्य के आंगनबाड़ी और सहिया दीदी के साथ हो रहा है. एक नर्स बनने के लिए न्यूनतम शिक्षा मैट्रिक पास है. इसके अलावा दो साल का कोर्स पूरा करने के बाद वे एक नर्स बनती हैं. लेकिन इस महामारी में सरकार ने सहिया और सेविका को दो घंटे की ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें नर्स की तरह काम करने के लिए उतार दिया.
इसे भी पढ़ें – छठीं जेपीएससी मामला : हाईकोर्ट ने मेरिट लिस्ट को किया रद्द, नई मेरिट लिस्ट जारी करने का दिया आदेश
सहिया डोर टू डोर सर्वे का काम कर रही है
सरकार के आदेश के बाद आंगनबाड़ी सेविका और स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम कर रही सहिया डोर टू डोर सर्वे का काम कर रही है. स्वास्थ्य संबंधी रोग के संबंध में उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है इसके बावजूद भी कोरोना योद्धा की तरह लड़ रही हैं. जबकि सरकार आंगनबाड़ी सेविका को कोरोना वारियर्स भी नहीं मानती है. इस दौरान दुर्भाग्य से उन्हें कुछ हो गया तो सरकार की ओर से उसका बीमा भी नहीं है कि उसके आश्रितों को कुछ राहत मिल सकेगी.
इसे भी पढ़ें –पलामू : स्टोन क्रेशर में हादसा, 1 महिला की मौत, 1 महिला मजदूर घायल
बिना बैटरी का थमाया ऑक्सीमीटर
राज्य सरकार सभी सेविका को ऑक्सीमीटर थमा दिया है ताकि वे घर- घर जाकर लोगों की जांच करें. वे गांव के लोगों का बुखार जांच करेगी. जांच में यदि बुखार की पहचान होती है तो उन्हें सेंटर पर लाकर कोरोना जांच कराया जाएगा. जांच के बाद जो भी रोग होगा उस बीमारी का इलाज किया जाएगा. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि ऑक्सीमीटर में दो छोटी-छोटी पेंसिल बैटरी लगती है. बैटरी लगने के बाद ही ऑक्सीमीटर काम करता है, लेकिन सरकार ऑक्सीमीटर तो दे दिया, लेकिन बैटरी देना भूल गयी है. अब ऑक्सीमीटर चलाने के लिए सेविका को बैटरी खरीदने पड़े. एक बैटरी का न्यूनतम मूल्य दस रुपये है. ऑक्सीमीटर के लिए दो बैटरी चाहिए. राज्य में करीब 88 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्र हैं. लगभग इतना ही ऑक्सीमीटर हर आंगनबाड़ी केंद्र को मुहैया कराया गया है. जानकारी के अनुसार कुछ जिले में ऑक्सीमीटर के साथ बैटरी दी गई है लेकिन ज्यादातर जिलों में नहीं मुहैया कराया गया है.
इसे भी पढ़ें –पाकिस्तान : मिल्लत एक्सप्रेस और सर सैय्यद एक्सप्रेस में टक्कर, 30 की मौत , 50 से अधिक लोग घायल
तीन माह से नहीं मिला मानदेय
आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष विमला देवी ने कहा कि पिछले तीन माह से मानदेय नहीं मिला है. घर चलाना मुश्किल हो गया है. ऊपर से सरकार अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल दी है. उन्होंने कहा कि जो लोग भी इस तरह की नीति बनाते हैं, उन्हें इतना तो मालूम ही होगा की ऑक्सीमीटर में बैटरी भी लगती है. तो बैटरी क्यों नहीं मुहैया कराया गया.
इसे भी पढ़ें –बांग्लादेश ने भारत-पाक को पीछे छोड़ दिया! दिग्विजय सिंह ने दी पीएम मोदी को पड़ोसी से सीख लेने की नसीहत