LagatarDesk : अक्टूबर महीने में त्यौहारों की भरमार है. ऐसे में त्यौहारी सीजन में आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ सकती है. क्योंकि आरबीआई अगले महीने होने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट बढ़ा सकता है. अगर ऐसा होता है तो लोगों पर ईएमआई का बोझ बढ़ जायेगा. लोगों को होम लोन, कार लोन समेत अन्य लोन लेना महंगा हो जायेगा. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी होगी. (पढ़ें, गुलाम नबी आजाद ने बनायी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी)
0.50 फीसदी बढ़ सकता है ब्याज दर
रिपोर्ट्स की मानें तो आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा कर सकता है. जिसके बाद ब्याज दर 5.40 से बढ़कर 5.65 फीसदी हो जायेगा. यह लगातार चौथी बार होगा जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ायेगा. महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत अन्य ग्लोबल सेंट्रल बैंकों की समीक्षा करेगा. बता दें कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की तीन दिवसीय बैठक 28 सितंबर से होगी. जिसके बाद 30 सितंबर को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास नतीजों का ऐलान करेंगे.
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बीओबी, एसबीआई समेत कई एक्टपर्ट ने जतायी आशंका
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनोमिस्ट मदन सबनवीस ने आशंका जतायी है कि आने वाले महीने में महंगाई दर 7 फीसदी रह सकती है. ऐसे में रेपो रेट में 25 से 35 बेसिस पाइंट का इजाफा हो सकता है. हालांकि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की स्थिति को देखें तो आरबीआई रेपो रेट में 50 फीसदी का इजाफा कर सकता है. बैंक ऑफ बड़ौदा से पहले एसबीआई की रिपोर्ट में भी रेपो रेट में 0.50 फीसदी की वृद्धि की आशंका व्यक्त की गयी थी. इसके अलावा इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने भी कहा था कि ब्याज दर में 50 बेसिस पांउट की वृद्धि हो सकती है.
तीन महीने में रेपो रेट में 1.40 फीसदी का इजाफा
बता दें कि आरबीआई ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. यह लगातार तीसरी बार था जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया था. इस तरह तीन महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था.
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लगातार आठ महीने से आरबीआई के दायरे से ऊपर महंगाई
देश में महंगाई लगातार आठवें महीने आरबीआई की तय लक्ष्य सीमा से ऊपर बनी हुई है. बीते दिनों जारी किये गये खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखें तो अगस्त में यह एक बार फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गयी है. इससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.71 फीसदी पर आ गया था. वहीं जून में खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी, मई में 7.04 फीसदी और अप्रैल में 7.79 फीसदी रही थी. सरकार ने महंगाई दर को दो से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी महंगाई इससे ऊपर बनी हुई है.
क्या होता है रेपो रेट
रेपो दर का सीधा संबंध बैंक से लिए जाने वाले लोन और ईएमआई (EMI) से है. दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो रेपो रेट एक बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर अन्य बैंक आम लोगों को दिये जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट तय करती है. जब बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है, यानी रेपो रेट बढ़ता है, तो आम आदमी के लिए भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन महंगा हो जाता है और उनकी ईएमआई बढ़ जाती है.
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