संघर्ष का रास्ता चुना
उन्होंने शादी के पहले ढेरों सपने संजो रखे थे. जब वह एक किसान परिवार में बहु बनकर आई तो यहां एक अलग चुनौती मिली. पूरा ग्रामीण परिवेश था. गांव में बिजली भी नहीं थी. सरोज कुमारी से सरोज देवी बनी महिला ने हिम्मत नहीं हारी और विपरीत परिस्थिति में भी हुनर और काबिलियत के दम पर एक नई इबारत के लिए संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया. देखें वीडियो- वह बताती है कि उनके पति कृषि कार्य के अलावा एक कपड़ा दुकान में काम करते थे. पति की मेहनत से जितनी कमाई होती थी उससे जिंदगी बहुत अच्छी नहीं चल रही थी. तब वह पिता के घर पर सिलाई बुनाई का जो काम सीखी थी उसे असल जिंदगी में करना शुरू कर दिया. गांव की ही लड़कियों को सिलाई और बुनाई का काम सिखाने लगी. इसी बीच मनरेगा योजना के तहत उनके पति को एक कुआं मिला. जिससे अपने घर पर ही खेती का काम भी शुरू कर दिया. इसे भी पढ़ें- पलामू:">https://lagatar.in/palamu-attempt-to-burn-the-chiefs-family-alive-by-setting-fire-to-the-house-police-engaged-in-investigation/34788/">पलामू:घर में आग लगाकर मुखिया के परिवार को जिंदा जलाने का प्रयास, पड़ताल में जुटी पुलिस
महिलाओं को प्रशिक्षण दी
फिर JSLPS में कृषक मित्र के लिए वह चुनी गई. उन्होंने महिला स्वयं सहायता ग्रुप बनाया. महिलाओं को श्री विधि की तकनीक से खेती करने का प्रशिक्षण देने लगी. इसके अलावा वह JSLPS में ही बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) के रूप में स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का काम करने लगी. संकुल स्तर पर दीदीबाड़ी योजना के लिए भी ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही है. बिरसा हरित ग्राम योजना में आम बागवानी के लिए सखी के रूप में चयनित कर ली गई. इसे भी पढ़ें- NMDC">https://lagatar.in/nmdc-vacancies-for-the-post-of-junior-officer-trainee-apply-soon/34382/">NMDCने जूनियर ऑफिसर ट्रेनी के पदों पर निकाली वैकेंसी, जल्द करें आवेदन [caption id="attachment_34898" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> अपने कार्य में लगी महिलाएं[/caption]
मेहनत से परहेज नहीं
इस योजना के तहत उसे एक 100 दिन का काम मिल गया है. उसके पति मनरेगा कुआं मिलने के बाद खेत में सब्जियों का उत्पादन कर स्थानीय बाजार में बेचते हैं. उनके दो बच्चे हैं. एक बच्चा मौजूदा समय में डीएवी पब्लिक स्कूल ललपनिया में पढ़ रहा है. वह कहती है कि मेहनत करने से परहेज नहीं करना चाहिए. सफलता अवश्य मिलती है. इस संबंध में गोमिया के बीपीओ राकेश कुमार कहते हैं कि दोनों पति पत्नी काफी मेहनती हैं. अन्य परिवार को भी इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें- विधायक">https://lagatar.in/bhumi-pujan-of-water-treatment-plant-by-jharia-mla-purnima-neeraj-singh/34857/">विधायकने संघर्ष समिति के बैनर तले की जनसुनवाई, प्रबंधन को चेताया