Surjit singh
दुमका विधानसभा उप चुनाव में सत्ताधारी दल और विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं. भाजपा के नेताओं ने कहना शुरू कर दिया है कि हम ही राज्य के सच्चे संरक्षक हैं, और हम ही जीतेंगे. दोनों पक्ष अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. यह हर चुनाव में होता है. इसमें नया कुछ नहीं. तो नया क्या है ? नया है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का 31 अक्टूबर को अखबारों में आया बयान.
दीपक प्रकाश ने दो महत्वपूर्ण बातें कही है. पहली यह कि दो माह के बाद झारखंड में भाजपा की सरकार होगी. तो क्या भाजपा झारखंड में सरकार गिराने की कोशिशों में जुट गयी है. वह भी इस तरह खुलेआम घोषणा करके.
दीपक प्रकाश ने दूसरी महत्वपूर्ण बात जो कहा है, वह यह है कि वह (भाजपा) सत्ताधारी दलों के पक्ष में काम कर रहे अफसरों की पहचान कर रहे हैं. दो माह बाद भाजपा की सरकार में आने के बाद उन्हें “कालापानी” भेजेंगे. वह आरोप लगा रहे हैं कि कुछ अफसर सत्ताधारी दल के लिये काम कर रहे हैं. यह एक आरोप हो सकता है. इसे रोकने व कार्रवाई करने के लिये चुनाव आयोग ने पर्यवेक्षक नियुक्त कर रखा है. पर, विपक्ष अफसरों को कालापानी भेजने की धमकी दे, यह एक गंभीर बात है. यही काम तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चुनाव के दौरान किया था. जिससे अफसरों के एक बड़े समूह में भाजपा के प्रति नाराजगी देखी गई थी.
अब दीपक प्रकाश के बयान के पहले अंश पर बात करें तो पता चलता है कि विधानसभा में जो दलीय स्थिति है, उसमें एनडीए या भाजपा को बहुमत नहीं है. बहुमत झामुमो, कांग्रेस व राजद गठबंधन को है. जब बहुमत नहीं है तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अपनी पार्टी की सरकार कैसे बना लेंगे. यह सवाल उठना तो लाजिमी ही है. जिसके जवाब में दीपक प्रकाश शतरंज के खेल की बात करते हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या झारखंड में भी विधायकों की खरीद फरोख्त करके भाजपा सरकार बनायेगी या फिर सत्ताधारी पक्ष के कुछ विधायकों की अंतरात्मा जागने वाली है.
बात चाहे जो भी हो. दीपक प्रकाश ने दुमका चुनाव में ये दो ऐसी बातें जरूर कह दी है, जो आने वाले वक्त में झारखंड की सियासत को प्रभावित कर सकता है. यह तो आने वाला दो माह ही बतायेगा कि दीपक प्रकाश ने दोनों बातें किसी रणनीति और तैयारी के साथ कहा है या फिर बस ऐसे ही “चुनाव है-कुछ भी बोल सकते हैं” वाली बात है.