Bokaro: विश्व जल दिवस के अवसर पर युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, जल जागरूकता अभियान और दामोदर बचाओ आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में बोकारो जिले के आशा लता केंद्र, सेक्टर पांच में एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू राय शामिल हुए. इस दौरान सरयू राय ने कहा कि स्वयंसेवी संस्था युगांतर भारती के तीन स्थायी कार्यक्रमों में से यह एक है.
जल की शुद्धता, निर्मलता और अविरलता को बनाये रखने के लिए जियोलॉजी और इकोलॉजी दोनों की अत्यंत आवश्यकता है. सरकारों और आम जनता को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना थीम ग्लेशियर का संरक्षण रखा है. धरती में व्याप्त सम्पूर्ण जल में से मात्र तीन प्रतिशत ही पीने योग्य है. तीन प्रतिशत में से एक प्रतिशत पानी छोटे छोटे जलस्रोतों, कुआं, भूगर्भ जल को मिलाकर है. बाकी दो प्रतिशत ग्लेशियर के बर्फ के रूप में विद्यमान है.
विश्व का 70 प्रतिशत ताजा जल का श्रोत ग्लेशियर है
सामाजिक संस्था युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा है कि विश्व का 70 प्रतिशत ताजा जल का श्रोत ग्लेशियर हैं. पर्यावरण में स्थिरता बनाने में, आर्थिक स्थिरता और संस्कृतियों की सुरक्षा के लिए ग्लेशियर संरक्षण की सख्त जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2025 में जल दिवस का थीम ग्लेशियर प्रिजर्वेशन (संरक्षण) ही रखा है. आने वाले दिनों में ग्लेशियरों का संरक्षण करना ही होगा.
ग्लेशियर पिघल जाए तो समुद्र का जलस्तर 60 मीटर बढ़ जाएगा
अंशुल शरण ने कहा कि आज सारा ग्लेशियर पिघल जाए तो समुद्र का जलस्तर 60 मीटर बढ़ जाएगा. इसका नतीजा क्या होगा? इसका नतीजा होगा भीषण बाढ़ और उससे होने वाली तबाही. अनेक इलाकों में ऐतिहासिक सूखा भी पड़ेगा और कृषि क्षेत्र को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पाएगा. इतना ही नहीं, पोलर बियर जैसे वन्य जीव का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. लद्दाख जैसे ठंडे रेगिस्तान में कृत्रिम ग्लेशियर बनता है और गर्मी में उसका जल खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है. इसलिए ग्लेशियर का संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है. अंशुल शरण ने कहा कि 5 जून को पर्यावरण दिवस है. यह सुखद संयोग है कि उसी दिन गंगा दशहरा भी है. इसलिए इस वर्ष दामोदर नद के किनारे नदी पूजन के अलावा वृक्षारोपण, संगोष्ठी और अन्य जन चेतना से जुड़े कार्यक्रम भी वृहद रूप में आयोजित किये जाएंगे.
छोटी नदियों को बचाने की जरूरतः अंशुमाली
आईआईटी-आईएसएम धनबाद के विभागाध्यक्ष (पर्यावरण) प्रो. अंशुमाली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक प्रतिवेदन तैयार किया है जिसमे पर्वत और ग्लेशियर को मुख्य रूप से शामिल किया गया है. दामोदर नदी का विस्तार 25हजार वर्ग किलोमीटर में है और इसके सहायक नदियों के किनारे ही अधिकांश उद्योगों का विकास हुआ है. दामोदर में करीब 60 से ज़्यादा सहायक नदियां इसे झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण नदी बनाती है. इसलिए गंगा और दामोदर से ज़्यादा गर्गा जैसी छोटी सहायक नदियों को बचाने की जरूरत है.
जल और इसके स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए समाज को आगे आने की जरूरतः आरआर सिन्हा
विशिष्ट अतिथि बीपीएससीएल के महा प्रबंधक आरआर सिन्हा ने कहा कि बोकारो स्टील प्लांट के सहयोग से प्लांट से प्रदूषण रोकने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. जल और इसके स्रोतों को प्रदूषण से बचाने और संरक्षित रखने के लिए पूरे मानव समाज को आगे आना होगा तभी हमलोग जल संकट जैसे वैश्विक समस्या से उबर पाएंगे. सेमिनार में दामोदर बचाओ आंदोलन के जिला संयोजक सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने बोकारो जिला का वार्षिक लेखा-जोखा रखा. स्वागत भाषण डॉ रतन केजरीवाल ने दिया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन शंकर स्वर्णकार ने किया. मंच संचालन श्रवण कुमार सिंह ने किया. मौके पर डॉ. अशोक, ललित सिन्हा, विश्वनाथ यादव, टीनू सिंह, मधुसूदन कुमार, अशोक जगनानी, विक्रम महतो, भैरव महतो, विक्की साव, कौशल किशोर, हरे राम यादव समेत अन्य शामिल थे.
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