NewDelhi : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हिंदू समाज को लेकर दिये गये पर तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, मोहन भागवत के बयान से वे कतई सहमत नहीं हैं.संभल विवाद पर उन्होंने कहा कि मंदिर के मु्द्दे पर संघर्ष जारी रहेगा. उन्होंने कहा, जो कुछ हो रहा है, बुरा हो रहा है, लेकिन यह भी देखना होगा कि मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं. हम इसे लेकर ही रहेंगे. यह चाहे वोट से हो या फिर कोर्ट से.
जब उन्हें सत्ता चाहिए थी, तब वे मंदिरों के बारे में खूब बोलते रहे
श्री रामभद्राचार्य के अलावा उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकरचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी भी श्री भागवत पर हमलावर होते हुए उन पर राजनीतिक रूप से सुविधाजनक रुख अपनाने का आरोप लगाया. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तंज कसा, जब उन्हें सत्ता चाहिए थी, तब वे मंदिरों के बारे में खूब बोलते रहे. अब जब उनके हाथ में सत्ता आ गयी है, है तो अब वे मस्जिदों में मंदिरों की तलाश नहीं करने की सलाह दे रहे हैं.
हिंदुओं पर बहुत अत्याचार किये गये , धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मांग की कि अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किये गये मंदिरों की सूची तैयार कर हिंदू गौरव को बहाल करने के लिए पुरातात्विक सर्वे किया जाये.अतीत में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार किये गये हैं. हिंदुओं पर धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया. अब हिंदू समाज यदि अपने मंदिरों का जीर्णोद्वार और संरक्षण चाहता है तो इसमें गलत बात क्या है?
हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है. इसकी इजाजत नहीं दी सकती
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम में देश में हर दिन सामने आ रहे मंदिर-मस्जिद विवाद उभरने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह हमें स्वीकार्य नहीं है कहा था कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया, क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था.
अपनी बात रखते हुए उन्होंने किसी विशेष स्थान का नाम लिये बिना कहा, ‘हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है. इसकी इजाजत नहीं दी सकती है? यह कतई जारी नहीं रह सकता. कहा कि भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम(हिंदू-मुस्लिम) एक साथ रह सकते हैं.
आधिपत्य के दिन अब लद गये हैं
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बिना किसी विशेष विवाद का जिक्र करते हुए कहा था, बाहर से आये कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आये हैं. वे अपना पुराना शासन वापस लाना चाहते हैं. श्री भागवत ने कहा, लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है. इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. कहा था कि आधिपत्य के दिन अब लद गये हैं.