Ranchi: रांची के ऐतिहासिक रथ मेले में इन दिनों भीड़ अपने चरम पर है. नौ दिनों तक चलने वाले इस मेले में बर्फी, खाजा और बालूशाही जैसी पारंपरिक मिठाईयां खुले में बेची जा रही हैं, जिन पर दिनभर मधुमक्खियां मंडराती रहती हैं.
बर्फी मुख्यतः सूजी और चीनी से तैयार की जा रही है, जबकि खाजा और बालूशाही में मैदा, तेल और भारी मात्रा में चीनी का उपयोग किया गया है. स्वास्थ्य सुरक्षा के मानकों की खुलेआम अनदेखी हो रही है, जिससे संक्रमण और स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका बनी हुई है.
वजन मशीन बताती है भविष्य, मोरपंख से छिपकली भगाने का दावा
मेले में लगी एक विशेष वजन मापने वाली मशीन लोगों को खूब आकर्षित कर रही है. कैमरा और एलसीडी स्क्रीन से युक्त यह मशीन न केवल वजन बताती है, बल्कि भविष्य और वर्तमान की झलक भी देती है, ऐसा दुकानदार का दावा है.
वहीं मोरपंख खरीदने वालों की भीड़ भी देखी गई. ग्राहकों का मानना है कि मोरपंख घर के कोनों में रखने से छिपकली नहीं आती और वातावरण शुद्ध बना रहता है.
शिवलिंग की प्रदर्शनी में श्रद्धा की भीड़, कीमत 50 से 150 रुपए तक
जमशेदपुर से लाई गई 380 पत्थरों की शिवलिंग प्रदर्शनी ने भक्तों को खूब आकर्षित किया है. सिलेट पत्थर से निर्मित ये शिवलिंग 50, 100 और 150 रुपये में बेचे जा रहे हैं. आकार के अनुसार कीमत तय है और सबसे छोटा शिवलिंग मात्र 50 रुपये में उपलब्ध है.
खिलौनों और घरेलू सामान की भरमार
गिरिडीह से आए अमीन साव ने बच्चों के लिए प्लास्टिक के बतख, जहाज, कबूतर और एसबीबी जैसे हवा भरने वाले खिलौनों की दुकान लगाई है. वे पिछले दो वर्षों से लगातार रथ मेले में दुकान लगा रहे हैं. अमीन साव ने बताया कि मेला बहुत खास तो नहीं, लेकिन संतोषजनक चल रहा है.
लोक आस्था से जुड़े टोटके: डिब्बे में तुलसी, सिंदूर व चावल
मेले में आस्था और टोटकों से जुड़ी वस्तुएं भी बिक रही हैं. महुआ बांधा की पत्तियों और डाली के साथ एक छोटे डिब्बे में आरवा चावल, सिंदूर, तुलसी का पत्ता और एक सिक्का रखा गया है. दुकानदारों का दावा है कि इसे घर या दुकान में रखने से व्यवसाय में लाभ होता है. यह डाली 50 से 200 रुपये तक की कीमत में बेची जा रही है.