Jamshedpur (Sunil Pandey) : जमशेदपुर में सरकारी जमीन का अतिक्रमण एवं खरीद-बिक्री का मामला कोई नया नहीं है. आए दिन सरकारी जमीन का अतिक्रमण एवं खरीद बिक्री का मामला प्रकाश में आता रहता है. इस बार आरोपों के घेरे में जमशेदपुर अंचल के जुगसलाई नगरपालिका (अब नगर पर्षद) के वार्ड नंबर चार में अनाबाद बिहार सरकार की जमीन (खाता नंबर 413, प्लॉट नंबर 217, रकबा 0.02.35 डिसमिल) है. आरोप है कि इस सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई और छह वर्षों बाद उक्त जमीन का नामांतरण (म्यूटेशन) भी कर दिया गया. मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त विजया जाधव ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है. अपर उपायुक्त सौरभ सिन्हा ने जमशेदपुर के अंचलाधिकारी अमित श्रीवास्तव से उक्त मामले में रिमाइंडर भेजकर जांच प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दिया है.
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1966 में जगन्नाथ तिवारी को दी गई थी लीज
जुगसलाई मौजा के वार्ड नंबर चार स्थित खाता नंबर 413, प्लॉट नंबर 217 (रकबा 0.02.35 डिसमिल) जमीन वर्ष 1966 में जगन्नाथ तिवारी को 30 वर्षों के लिए लीज पर दी गई थी. जिसकी लीज अवधि 1996 में समाप्त हो गई. लीज समाप्त होने के बाद उसका रिन्यूअल नहीं किया गया. लीजधारी जगन्नाथ तिवारी का निधन होने के बाद उनके पुत्र माधोलाल पारिख, बृजमोहन पारिख, ओमप्रकाश पारिख एवं संतोष कुमार पारिख ने अमित अग्रवाल (पिता रामेश्वर अग्रवाल), संजीव कुमार अग्रवाल (पिता ओमप्रकाश अग्रवाल) एवं वीणा अग्रवाल (पति अजय कुमार अग्रवाल) के नाम रजिस्ट्री कर दी. उक्त जमीन की रजिस्ट्री के छह वर्षों बाद तत्कालिन अंचलाधिकारी ने उन तीनों के नाम नामांतरण कर दिया.
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सीओ ने अब तक नहीं दिया जवाब
लीज पर दी गई सरकारी जमीन की लीज अवधि समाप्त होने के बाद निबंधन एवं म्यूटेशन से जुड़े मामले का खुलासा सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के बाद हुआ. सामाजिक कार्यकर्ता सह बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर ने उक्त मामले में जमशेदपुर के अंचलाधिकारी से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी. जिसका उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. अंचलाधिकारी के जवाब से असंतुष्ट सदन कुमार ठाकुर ने इसकी शिकायत उपायुक्त से की. जिसके बाद अपर उपायुक्त्त ने अंचलाधिकारी से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की. हालांकि अभी तक अंचलाधिकारी की ओर से अपर उपायुक्त को जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है.
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नया नहीं है अतिक्रमण एवं खरीद-बिक्री का खेल
जमशेदपुर में सरकारी जमीन का अतिक्रमण, खरीद-बिक्री का खेल कोई नया नहीं है. अंचल कार्यालय एवं स्थानीय पुलिस की मिली भगत से कहीं-कहीं तो बड़े भू-खंड पर बस्तियां बस चुकी हैं. इसका उदाहरण गोविंदपुर, बिरसानगर, खासमहल, घाघीडीह, झारखंडनगर, जुगसलाई आदि इलाके हैं. वरीय अधिकारियों के संज्ञान में मामला आने पर बीपीएलई केस दर्ज कर अतिक्रमण हटाया जाता है. बाद में अतिक्रमण मुक्त करायी गई जमीन पर “मैनेज” कर पुनः संरचना खड़ी हो जाती है. जुगसलाई स्थित जमीन पर भी मॉल बनाकर व्यावसायिक गतिविधियां की जा रही है.
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अंचलाधिकारी से मांगी गई है रिपोर्ट- एडीसी
जुगसलाई में सरकारी जमीन की रजिस्ट्री एवं म्यूटेशन किए जाने का परिवाद संज्ञान में आया है. इस मामले में जमशेदपुर के अंचलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है. अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है. रिपोर्ट आने के बाद ही आगे किसी तरह की कार्रवाई की जा सकती है. (सौरभ कुमार सिंहा, अपर उपायुक्त, जमशेदपुर.)
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