Jamshedpur(Dharmendra Kumar) : जमशेदपुर की लाइफ लाइन एवं यहां के लोगों की प्यास बुझाने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदियां धीरे-धीरे सूखने के कगार पर हैं. गर्मी आते ही इन नदियों में पानी खत्म हो गया है. दोनों नदी गंदे नाले में तब्दील हो गई है. मानगो ब्रिज के पास नदी में गंदा पानी बह रहा है. नदियों के सूखने के पीछे जिला प्रशासन एवं कॉरपोरेट घरानों की लापरवाही एक बड़ा कारण है. स्वर्णरेखा नदी से जमशेदपुर में 350 मिलियन लीटर प्रति दिन पानी निकाला जा रहा है. लेकिन नदियों की सेहत का ध्यान किसी को नहीं है. नदी को साफ सुथरा करने के लिए सरकार ने कई वादे किए है. लेकिन एक भी योजना धरातल पर नहीं उतरी. पर्यावरण वैज्ञानिक को का मानना है कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में खरकई और स्वर्णरेखा नदी पूरी तरह सूख जाएगी. ये नदियां अगर सूख गईं तो शहर में जलसंकट उत्पन्न हो जाएगा.
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जलापूर्ति योजनाएं भी स्वर्णरेखा और खरकई नदी पर निर्भर
वर्तमान हालात यह है कि कंपनी एरिया को अगर छोड़ दे तो जमशेदपुर के आस-पास के क्षेत्रों में गर्मी के दस्तक के साथ ही पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है. शहर के कंपनी एरिया साकची बिष्टुपुर और आसपास के इलाकों को जुस्को की जलापूर्ति योजना से पानी मिलता है. जुस्को यह पानी स्वर्णरेखा नदी से हासिल करती है. मानगो और मोहरदा जलापूर्ति योजना का इंटकवेल भी स्वर्णरेखा नदी में है. बागबेड़ा वृहद जलापूर्ति योजना का इंटकवेल दोमुहानी के निकट सपड़ा में है. यानी जलापूर्ति योजनाएं भी स्वर्णरेखा औ खरकई नदी के पानी पर ही निर्भर है. जुगसलाई जलापूर्ति योजना खरकई नदी से पानी उठाती है. इसलिए जब दोनों नदियां सूखती हैं तो जलापूर्ति योजनाओं के लिए पानी हासिल करना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि गर्मी के दिनों में मानगो मोहरदा और जुगसलाई जलापूर्ति योजना में पानी की गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है.
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उपायुक्त ने जाली लगाने का दिया था निर्देश
पिछले दिनों उपायुक्त विजया जाधव के निर्देश पर स्वर्णरेखा नदी में गिरने वाले नालों के मुहाने पर तार की जाली लगाने का निर्देश नगर निकाय को दिया गया था. ताकि नदी में प्लास्टिक एवं कचरा नदी में ना जाए. यह कितना कारगर होगा यह देखना लाजमी होगा. समय-समय पर विभिन्न संगठनों द्वारा नदियों के जीणोद्धार के लिए अभियान चलाया जाता है. जमशेदपुर की लाइफ-लाइन कही जाने वाली स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी के संरक्षण एवं संवर्दधन के लिए लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि इन नदियों के साथ जमशेदपुर को बचाया जा सके.
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