Jamtara:आदिवासी सेंगेंल अभियान ने 30 अप्रैल को इंदिरा चौक पर संथाली भाषा और उसकी लिपि ओलचिकी का विरोध करने वाले ईसाई मिशनरी और झामुमो विधायक व सांसद का पुतला दहन किया. जिलाध्यक्ष विशेश्वर मरांडी ने कहा कि एक तरफ़ ईसाई मिशनरी लगातार रोमन लिपि और ईसाई धर्म-संस्कृति को झारखंड में थोंप कर आदिवासी अस्तित्व खत्म करना चाहते हैं. सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने संथाली भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में 22 दिसम्बर 2003 को शामिल कराया. जबकि आदिवासी की बात करनी वाली ईसाई मिशनरी और झामुमो अभी भी चुप है. आदिवासी भाषा संस्कृति, सीएनटी, एसपीटी, विस्थापन, पलायन आदि मामले में कोई लेना देना नहीं है. सरना धर्म कोड, संथाली को झारखण्ड में प्रथम राजभाषा, अंधविश्वास, नशापान, गलत परंपरा व गलत आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के खिलाफ लोगों को जागरूक व एकजुट करने का काम करें. असम सरकार ने झारखंडी आदिवासियों को एसटी का दर्जा अभी तक नहीं दिया हैं. बोडों ने आदिवासियों पर कई बार नरसंहार कियाहै. इससे पूर्व अभियान ने सुभाष चौक से इंदिरा चौक तक जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया. मौके पर सुरेश मुर्मू, संजीत सोरेन, गोपाल सोरेन, सागनेन मुर्मू, विरेन्द्र मुर्मू, रुपधन हेम्ब्रम, राजेश बेसरा, सबिता सोरेन, सुलेखा मरांडी, लखन हेम्ब्रम, लखन मरांडी आदि थे. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=622275&action=edit">यह
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जामताड़ा: आदिवासी सेंगेंल अभियान ने ओलचिकी के विरोध करने वालों का फूंका पुतला
