ABHILASHA SHAHDEO
LagatarDesk: नारी की पूजा करनेवाले भारत में बलात्कार के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं. कुछ समय पहले तक हमारे समाज में लड़के और लड़की में काफी भेदभाव किया जाता था. लेकिन अब लोगों का नजरिया बदल गया है. बेटे और बेटी को बराबरी का दर्जा मिल रहा है, इसके बावजूद महिलाओं के साथ होनेवाले अपराधों में बढ़ोतरी खतरनाक संकेत है. यह बताता है कि भले ही महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिल गया हो, लेकिन उनके नजरिये में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
महिलाओं के साथ होनेवाले अपराधों पर नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश के जो 10 राज्य महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं, उनमें झारखंड भी शामिल है. इंडिया टूडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट ने एलसीआरबी के डाटा का विश्लेषण किया. यूनिट ने अपनी जांच में पाया देश के 28 राज्यों और 8 संघ शासित क्षेत्रों में 10 राज्य महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है. आइये जानते हैं वे कौन से 10 राज्य हैं जो महिलाओं के लिए महफूज नहीं हैं.
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महिलाओं के लिए बदतर होती जा रही स्थिति
इंडिया टुडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट के अनुसार ये राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, असम, हरियाणा, ओडिशा, दिल्ली और झारखंड हैं. भारत के ये राज्य पिछले 10 साल में महिलाओं के लिए बदतर हो गये हैं. 2019 में देश में रिपोर्ट किये गये दुष्कर्म के दो-तिहाई मामले इन्हीं 10 राज्यों में दर्ज किये गये.
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बलात्कार के 5 में से 4 मामले इन 10 राज्यों से
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के डेटा के अनुसार, भारत में होनेवाले बलात्कार के 5 मामलों में से 4 मामले इन 10 राज्यों से हैं. इन 10 राज्यों में रिपोर्ट किये गये दुष्कर्म के मामलों की संख्या इन 10 सालों में दोगुनी हो गयी है. आंकड़ों के अनुसार, 2009 में इन राज्यों में बलात्कार के 12772 मामले दर्ज किये गये थे, जो 2019 में बढ़कर 23173 हो गये. अन्य राज्यों में जो आंकड़ा 2009 में था, कमोबेश वही आंकड़ा 2019 में भी रहा.
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10 साल में चार गुना हुआ आंकड़ा
अगर पूरे भारत के आंकड़ों का औसत देखें, तो पिछले 10 साल में बलात्कार के मामलों में चार गुणा वृद्धि हुई है. आंकड़े बताते हैं कि 2009 में इन 10 राज्यों में हर दिन 3 महिलाओं का बलात्कार होता था. 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया.
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महिलाओं के लिए राजस्थान सबसे असुरक्षित, केरल दूसरे नंबर पर
बलात्कार के मामले में सबसे असुरक्षित राज्य राजस्थान है. यहां पिछले 10 साल में बलात्कार के मामलों में 295 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2009 में यहां कुल 1519 मामले थे, जो 2019 में बढ़कर 5997 हो गये. NCRB के आंकड़ों के अनुसार यह बढ़ोत्तरी चार गुना है. केरल सूची में दूसरे नंबर पर है. पिछले 10 सालों में यहां 1455 अधिक मामले दर्ज किये गये. 2009 में यह आंकड़ा 568 था जो 2019 में बढ़कर 2023 हो गया.
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देश की राजधानी में भी महिलाओं का जीना मुश्किल
लिस्ट में तीसरे नंबर पर दिल्ली आता है, जो भारत की राजधानी है. 2009 में दिल्ली में कुल 469 मामले दर्ज थे, जो 2019 में बढ़कर 1253 हो गये. यानी बलात्कार के मामलों में 167 फीसदी की वृद्धि हुई. वहीं हरियाणा में बलात्कार के मामले दोगुने हो गये. 2009 में 603 मामले दर्ज थे, जो 2019 में 1480 हो गये.
झारखंड-यूपी में दुष्कर्म के मामले बढ़े, एमपी में कमी
झारखंड की बात करें, तो 2009 में कुल 719 मामले दर्ज थे, जो 2019 में बढ़कर 1416 हो गये. उत्तर प्रदेश में 2009 में 1759 मामले दर्ज किये गये थे. 2019 में यह संख्या बढ़कर 3065 हो गयी. 10 राज्यों में केवल एकमात्र राज्य मध्य प्रदेश है, जहां बलात्कार के मामलों में 17 फीसदी की गिरावट देखी गयी. 2013 से 2018 तक प्रत्येक वर्ष 4000 मामले दर्ज किये गये. वहीं 2019 की बात करें तो 2485 मामले दर्ज किये गये.
साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है आंकड़ा
NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 2012 में हुए चर्चित सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के बाद, राजस्थान में 83%, केरल में 66, हरियाणा में 52 और झारखंड में 18 फीसदी अधिक मामले दर्ज किये गये.
10 सालों में कुल 23173 बलात्कार मामले
अगर हम 10 राज्यों में दर्ज मामलो की बात करें, तो विगत 10 सालों में कुल 23173 बलात्कार के मामले प्रकाश में आये. दूसरी ओर अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की बात करे, तो इसी दौरान इन मामलों की तादाद घटकर 11173 से 8860 रह गयी.
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सख्त कानून के बावजूद रुक नहीं रही घटनाएं
ऊपर दिये गये आंकड़ें सिर्फ पुलिस में दर्ज मामलों के हैं. भारत में ऐसे मामलों की संख्या काफी अधिक है, जो बदनामी, डर तथा अन्य कारणों से दर्ज नहीं कराये जाते. बलात्कार के खिलाफ सख्त कानून बनाये जाने के बावजूद अपराधियों में इनका खौफ दिखाई नहीं दे रहा है.
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