Ranchi: झारखंड में आकांक्षा योजना के तहत इंजीनियर-डॉक्टर बनने वाले गरीब छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2020-21 में 80 के बजाए 240 बच्चों को इंजीनियर और मेडिकल की तैयारी के लिए इस योजना से जोडने का प्रावधान किया. अबतक इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 तक कुल 105 छात्र सफल हुए.
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स्टूडेंट्स में इंजीनियर और डॉक्टर बनने की मची होड़
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स में इंजीनियर और डॉक्टर बनने की होड सी मच गई है. निशुल्क मिलने वाली इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा कोचिंग (आकांक्षा योजना) के लिए अप्लाई करने वाले हाई स्कूल के बच्चों की संख्या में चार गुना की वृद्धि हुई है. वर्ष 2018 में योजना के तहत कोचिंग हासिल करने वाले 4 स्टूडेंट्स को जेईई मेन में सफलता मिली. तीन स्टूडेंट्स नीट की परीक्षा में सफल हुए, जिसके बाद से योजना का लाभ लेने के लिए स्टूडेंट्स में होड़ सी मच गई है. जिसे देखते हुए सरकार ने इस योजना को सभी जिलों में विस्तार और सुदृढ बनाने के लिए कार्यवाई शुरू कर दिया है. जिससे समाज के निचले स्तर से मेधावी स्टूडेंट्स योजना का लाभ उठा सकें.
2016 में शुरू हुई थी योजना, बच्चे उठा रहे लाभ
झारखंड मे सरकार ने प्रदेश के होनहार बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर बनाने के लिए साल 2016 में आकांक्षा योजना की शुरूआत की थी. इसके तहत जैक दसवीं पास छात्रों के लिए चयन परीक्षा लेती है. इनमें से 40 छात्रों को इंजीनियरिंग और 40 छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए चयनित किया जाता है. यानी कुल 80 छात्रों का चयन योजना के तहत होता है. सरकार ने संख्या में दोगुना से ज्यादा करने का निर्णय लिया है.
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मुफ्त रहने-खाने और कोचिंग की सुविधा
योजना के तहत छात्रों को मुफ्त में रहने-खाने और कोचिंग की सुविधा दी जाती है. 2016 में शुरू हुई आकांक्षा योजना के तहत जेईई के लिए 2016-18 में 40 में से 22, 2017-19 में 40 में से 23 और 2018-20 में 40 में से 23 छात्रों का चयन हुआ. इसी तरह नीट के लिए 2016-18 में 40 में से 4, 2017-19 में 30 और 2018-20 में 3 छात्र सफल हुए. यानी 2016 से 2020 तक कुल 105 छात्र सफल हुए. पांच वर्ष में 105 छात्रों के सफल होने का मतलब है प्रति वर्ष औसतन 21 छात्र सफल हुए.