Search

झारखंड : पहले भी विवादों में रहे हैं आइएएस मनीष रंजन, अब ईडी के रडार पर

 डॉ कुलकर्णी और मनीष रंजन हो चुके हैं आमने-सामने देवघर जमीन घोटाला में भी मनीष रंजन को हो चुका है शोकॉज शुभम संदेश ने 17 मई को 3000 करोड़ के टेंडर मामले की छापी थी खबर  Ravi Bharti/Pravin Kumar/   Ranchi  : झारखंड कैडर के आइएएस अफसर मनीष रंजन का विवादों से पुराना नाता रहा है. 2002 बैच के मनीष रंजन उस समय सुखियों में आए जब वे हजारीबाग डीसी थे. उस समय मनीष रंजन अपने ही कैडर के सीनियर अफसर डॉ नितिन मदन कुलकर्णी से आमने-सामने हो गए थे. डॉ कुलकर्णी उस समय उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त थे. विवाद इतना बढ़ गया कि मामला राजभवन तक पहुंच गया. राजभवन के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ. फिलहाल मनीष रंजन भू राजस्व विभाग के सचिव हैं. साथ ही उनके पास भवन निर्माण विभाग के सचिव और भवन निर्माण कॉरपोरेशन के एमडी का भी अतिरिक्त प्रभार है. शुभम संदेश अखबार ने 17 मई को ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ रुपए के टेंडर जारी होने की खबर प्रमुखता से छापी थी. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/05/Manish.gif"

alt="" width="600" height="400" />

जमीन घोटाला मामले में मनीष रंजन को हो चुका है शोकॉज

देवघर के बहुचर्चित भूमि घोटाले में पूर्व विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह,मस्त राम मीणा मनीष रंजन को शोकॉज जारी किया गया था. इन अफसरों से भूमि घोटाले में अंतरलिप्तता को लेकर सवाल पूछा गया है कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की जाए. दरअसल देवघर भूमि घोटाले (मुकदमा संख्या आरसी 16/2012) की जांच कर रही सीबीआई ने इन अधिकारियों की संदेहास्पद भूमिका को रेखांकित करते हुए राज्य सरकार से इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू कर दंडित करने का निर्देश दिया था. तीनों ही अफसर देवघर के डीसी रहे चुके हैं.

वर्ष 2000 से 2011 के बीच हुआ घोटाला

सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में कहा गया था कि भूमि माफियाओं से मिल कर अधिकारियों ने जिले की लगभग 824 एकड़ सरकारी और निजी भूमि बेच दी. उस समय इसकी अनुमानित कीमत एक हजार करोड़ रुपए से अधिक बतायी गयी थी. पहले इस घोटाले की जांच निगरानी को सौंपी गयी. बाद में तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा की. इसके बाद 19 जून 2012 को सीबीआई ने देवघर भूमि घोटाले में एफआईआर दर्ज कर जांच प्रारंभ की. दिलचस्प बात यह रही कि 2010-11 में इस गड़बड़ी का भंडाफोड़ तत्कालीन डीसी मस्त राम मीणा द्वारा ही किया गया. लेकिन उन पर यह आरोप लगा कि अभिलेखागार से कागजात गायब किये जाने और उसे जलाये जाने के बाद इस मामले का रहस्योदघाटन किया गया ,ताकि इस घोटाले से जुड़े आरोपी बच सकें.

अब ईडी के रडार परआईएएस मनीष रंजन

अब आईएएस अफसर मनीष रंजन ईडी के रडार में आ गए हैं. ईडी ने उन्हें समन किया है. 24 मई को उन्हें रांची के ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है. मनीष रंजन को टेंडर कमीशन घोटाला मामले में समन किया गया है. बता दें कि ईडी को जो दस्तावेज मिले हैं उसमें किसी मनीष का जिक्र था. ईडी पता लगा रही थी कि वह मनीष कौन है. आखिरकार ईडी को पता चल गया है कि मनीष रंजन वही आईएएस अफसर हैं जो पहले ग्रामीण विकास विभाग में सेक्रेटरी हुआ करते थे. वर्तमान में वह भू-राजस्व विभाग के सचिव है. दरअसल ईडी को जहांगीर आलम के घर से जो डायरी मिली है, उस डायरी के हिसाब-किताब में मनीष और उमेश नाम के शख्स का भी जिक्र है. एक पन्ने में मनीष को 4.22 करोड़ और उमेश को 5.95 करोड़ रुपये देने का जिक्र है. ईडी इसी बात की जांच कर रही थी कि मनीष और उमेश कौन हैं? बता दें कि अब तक ईडी ने जो खुलासा किया है उसमें साफ तौर पर देखा जा रहा है कि कमीशन का हिस्सा ऊपर बैठे लोगों से लेकर विभाग के अधिकारियों तक में बंटता था

ईडी का दावाः झारखंड में 3000 करोड़ का है टेंडर घोटाला

झारखंड टेंडर घोटाले की जांच कर रही ईडी ने दावा किया है कि यह 3000 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला है. ईडी का मानना है कि पैसा बांग्लादेश और अन्य देशों में भी भेजा गया था. मंत्री का एक भाई बांग्लादेश में रहता है जो चावल मिल और कई अन्य उद्यम चलाता है. ईडी ने हाल ही में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को टेंडर घोटाले में गिरफ्तार किया है. आलमगीर पर आरोप है कि कमीशन के लिए चयनित ठेकेदारों को टेंडर आवंटित किया जाता था. ईडी ने कुछ दस्तावेज जब्त किये हैं जिनसे पता चला है कि आलमगीर आलम और विभाग के अन्य नौकरशाहों को कटौती और कमीशन मिलता था. ईडी ने अपने पास मौजूद साक्ष्यों के आधार पर बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग के टेंडरों से एक निश्चित कमीशन वरिष्ठ मंत्रियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाता था. 6 मई को मंत्री के पीएस संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम के ठिकाने पर छापेमारी के दौरान ईडी ने 37.54 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी. जो ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आवंटित निविदाओं में कमीशन से प्राप्त आय थी.   [wpse_comments_template]
Follow us on WhatsApp