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Jharkhand news - मनरेगा मजदूरों को काम देने का दावा खोखला, हो रहा घोटाला

PRAVIN KUMAR

Ranchi / latehar : रघुवर दास ने मनरेगा योजना के तहत डोभा निर्माण को अपने कार्यकाल में प्रमुख प्राथमिकता दी थी. उस दौरान भी योजना घोटालों का केंद्र बना हुआ था और वह आज भी है. लातेहार जिला के मानिका प्रखंड में कई योजनाओं का जायजा देश के जाने माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और उनकी टीम ने लिया.

टीम द्वारा लिये गये जायजा में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये है. जहां मजदूरों को काम देने का दावा खोखला लग रहा है. टीम का मानना है कि राज्य में मनरेगा योजना को लूट का केन्द्र बन गया है.

लगातार.इन ने मनरेगा में घोटाला चरम पर, मस्टर रोल पर दर्ज हैं फर्जी नाम शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था. खबर के बाद लातेहार के डीसी अबु इमरान ने इस पर एक्शन लिया है. उन्होंने डीडीसी को इस मामले में शीघ्र जांच प्रतिवेदन मांगा है.

योजना में है कई अनियमितता

 वहीं दूसरी ओर ज्यां द्रेज, जेम्स हेरेंज ,पचाठी सिंह , अमरदयाल सिंह ने मनिका में चल रही मनरेगा योजना में अनियमितता को लेकर कई बिन्दुओं को सामने लाया है.

झारखंड नरेगा वॉच की टीम ने मनरेगा योजना को लेकर पेश की रिपोर्ट

1. ग्राम मानिका में विशुन्ती कुवर के जमीन में 80X80X10 का डोभा निर्माण हुआ. जिसका वर्क कोड 7080901555269 है. इस योजना का योजना लागत, प्राक्कलित राशि, 3.23 लाख स्वीकृत है. जिसमें  एमआईएस के अनुसार 52380 रूपये खर्च किया गया. झारखंड नरेगा वॉच की टीम ने योजना में काम करने वाले सभी मजदूरों की खोज किया. जो कि मस्टर रोल में दर्ज मजदूरों के नाम से बिलकुल अलग थे. इस योजना में काम करने वाले सिर्फ 4 मजदूर (प्रसाद बैठा, जशोदा देवी, भारती कुमारी व प्रमोद पासवान) का ही नाम मस्टर रोल में दर्ज है. शेष 16 मजदूर वगैर मस्टर रोल के काम कर रहे हैं. 16 मजदूरों के नाम फर्जी दर्ज किया गया. फर्जी मजदूरों का 7 से 13 अप्रैल तक, 1 सप्ताह काम दिखाया गया.

(2) ग्राम मनिका में उमेश पासवान के जमीन में 80x80x10 का डोभा निर्माण जिसका वर्क कोड (3406004001/IF/7080901560438) है. योजना लागत राशि 3.23 लाख स्वीकृत किया गया है. एमआईएस के अनुसार योजना में 53490 रूपये ही खर्च हुये है. ज्यां द्रेज की टीम ने देखा कि योजना स्थल पर लाभुक उमेश पासवान के अतिरिक्त बसंत पासवान, पिता जदुनी मांझी एवं बिना देवी, पति बसंत पासवान ने मिट्टी खुदाई में लगे होने का दावा किया. लेकिन मस्टर रोल संख्या 656 में सिर्फ लाभुक उमेश पासवान का नाम है. बाकी दोनों मजदूरों लाभुक उमेश पासवान के द्वारा बिना मस्टर रोल के काम कर रहे थे. योजना स्थल पर जो मिट्टी खुदाई एवं ढुलाई हेतु औजार पड़े थे उससे भी ये साबित नहीं हो पाया कि उक्त योजना में 32 मजदूर कार्य कर रहे होंगे. जबकि योजना स्थल भ्रमण का समय शाम 5 बजे का था. इसमें भी सिर्फ एक सप्ताह कार्य किया गया. कार्य का मूल्यांकन लगभग 12000 पाया गया.

(3) सुनील पासवान के खेत में 100 x100 x 10 का डोभा निर्माण सिका वर्क कोड (3406004001/IF/7080901290377) है. योजना लागत राशि 4.34 लाख स्वीकृत है. एमआईएस के अनुसार  योजना में 399417 लाख रूपये खर्च किये गये है.

किस तरह किया गया है इस योजना में घोटाला

जनवरी 2021 में किये गए कुल कार्य की वास्तविक मापी के अनुसार कार्य का कुल मूल्य लगभग 52 चौका होता है. जबकि इस अवधि में कुल 536 मानव दिवस का मस्टर रोल दर्ज कर कुल 103984 रूपये की निकासी कर ली गई है. मस्टर रोलों में दर्ज कार्य अवधि फ़रवरी और मार्च 2021 भी दर्ज है, जबकि योजना स्थल देखने से स्पष्ट है, इस अवधि में कोई कार्य नहीं किया गया है. लाभुक की मां शीला देवी पति बिनेश पासवान ने भी इस बात की पुष्टि की है. डोभा के एक हिस्से में पहले से क्यारी के रूप में गड्ढा था. डोभा का उत्तरी मेढ़ पहले से ही निर्मित बांध का हिस्सा है.

कैसे मजदूरों के खाते में राशि भेज वापस लिया जाता है

शीला देवी ने यह भी कहा कि ममता कुमारी (कार्ड सं0 1243) पिता कृष्णा मांझी (पासवान) की जनवरी 2021 में शादी के रिश्ते की बात हो जाने के कारण काम नहीं किये. ठीक इसी तरह काजल कुमारी (कार्ड सं0 1244) पिता कृष्णा मांझी (पासवान) जबकि ममता कुमारी के नाम से 06 जनवरी से 23 फरवरी 2021 तक 28 कार्यदिवस (फर्जी) दर्ज कर कुल रकम 4032 रूपये तथा काजल कुमारी के नाम से 13 से 5 जनवरी तक 12 हाजरी संधारित कर 2328 रूपये की निकासी कर ली गई है. सुजीत कुमार (कार्ड सं0 1236) पिता बिनेश मांझी जो मनिका में रोड में मोबाइल दुकान चलाते हैं उनके नाम से 12 दिसम्बर 2019 से 5 नवम्बर 2020 तक 36 कार्य दिवस दर्ज कर कुल रूपये 6432 की निकासी की गई है. इसी तरह उनके भाई अजित कुमार (कार्ड सं0 1238) के नाम से 12 कार्य दिवस का 2052 रूपये निकासी की गई है. 

योजना राशि लूट के लिए  नदी किनारे स्वीकृत किया गया डोभा

भदई बथान स्कूल के समीप नदी किनारे भी डोभा निर्माण को स्वीकृत किया गया.  इस योजना में वर्तमान में पिछले 15 दिनों से किसी तरह का कार्य नहीं किया गया है. योजना स्थल पर किसी तरह का बोर्ड नहीं होने तथा ग्रामीणों द्वारा योजना के लाभुक का नाम नहीं बताने के कारण इसकी तुलना एमआईएस रिकॉर्ड के साथ नहीं किया जा सका. लेकिन इस निर्माणधीन योजना स्थल के आधे हिस्से से ही मिट्टी की कटाई की गई है. डोभा निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है. इसमें आगे काम जारी रखने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है.

भदई बथान स्कूल के पूर्व टोंगरी में दूसरा डोभा निर्माण

टीम ने डोभा निर्माण स्थल पर क्या पाया ज्यां और उनकी टीम का कहना है 13 अप्रैल को दोपहर करीब 3.30 बजे किया गया था. उस वक्त मध्यांतर के बाद सधवाडीह के दो ही मजदूर काम करते पाए गए. स्थल पर कार्य में उपयोग होने वाले जितने औजार यथा कुदाल, टोकरी इत्यादि पाए गए. इससे सहज ही अंदाज लग रहा था कि उस दिन अधिकतम 8 से 10 मजदूर लगे थे. उपस्थित दो मजदूरों ने अपना नाम और बाकि मजदूरों के नाम बताने से घबरा रहे थे. जबकि 11 से 17 अप्रैल तक 4 मस्टर रोलों (1955 से 1958) तक कुल 31 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल सृजित किये गए हैं. निर्माणाधीन डोभा स्थल का आधा हिस्सा पहले से ही एक खेत था.

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