Search

झारखंड : 3 उग्रवादी संगठनों में बचे सिर्फ 10 इनामी नक्सली, छोटे आपराधिक गिरोह बन रहे नई चुनौती

  • झारखंड में नक्सलवाद अंतिम दौर में
  • तीन उग्रवादी संगठन में बचे सिर्फ 10 इनामी नक्सली
  • छोटे आपराधिक गिरोह बन रहे नई चुनौती
  • नक्सल प्रभावित जिलों में आई कमी
  • उग्रवाद पर भारी पड़ा पुलिस का शिकंजा

Ranchi :  झारखंड में उग्रवाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है. पुलिस मुख्यालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में सक्रिय तीन प्रमुख उग्रवादी संगठनों टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी), पीएलएफआई (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) और जेजेएमपी (झारखंड जन मुक्ति परिषद) में अब केवल 10 इनामी उग्रवादी बचे हैं. यह राज्य में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. 

 

टीपीसी में सिर्फ तीन इनामी उग्रवादी : 

झारखंड में टीपीसी को कमजोर करने में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. आक्रमण गंजू जैसे कई बड़े उग्रवादियों की गिरफ्तारी के बाद अब इस संगठन में केवल तीन इनामी उग्रवादी बचे हैं. 

  • - टीपीसी सुप्रीमों ब्रजेश गंजू :  25 लाख का इनामी है.
  • - आरिफ : इस पर 10 लाख का इनाम है.
  • - मुखदेव यादव :  5 लाख का इनामी है.

 

पीएलएफआई में बचे तीन इनामी उग्रवादी : 

पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी और कई उग्रवादियों के मारे जाने से यह संगठन भी काफी कमजोर पड़ गया है. अब इसमें केवल तीन इनामी उग्रवादी बचे हैं. 

- मार्टिन केरकेट्टा : इस पर 15 लाख का इनाम है.

- बलराम लोहरा : यह 2 लाख का इनामी है.

- सैमुएल बुढ़ : इस पर 1 लाख का इनाम है.

 

जेजेएमपी में अब सिर्फ चार इनामी उग्रवादी : 

लातेहार पुलिस के साथ मुठभेड़ में सुप्रीमो पप्पू लोहरा के मार जाने के बाद जेजेएमपी को बड़ा झटका लगा है. कई उग्रवादियों के पकड़े जाने और आत्मसमर्पण करने के बाद इस संगठन में अब केवल चार इनामी उग्रवादी रह गए हैं.

- शिव सिंह : इस पर 5 लाख का इनाम है.

- ब्रजेश यादव : यह 5 लाख का इनामी है.

- सचिन बैंग : इस पर 5 लाख का इनाम घोषित है.

- रविंद्र यादव :  यह 5 लाख का इनामी है.

 

नई चुनौती बनकर उभर रहे छोटे आपराधिक गिरोह  

भाकपा (माओवादी) संगठन के कमजोर होते ही छोटे-छोटे अपराधी और उग्रवादी समूह सक्रिय हो गए हैं. ये समूह अब मुख्य रूप से रंगदारी और लेवी वसूलने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. वे व्यापारियों को व्हाट्सएप कॉल पर धमकी दे रहे हैं और अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए वाहनों में आगजनी और गोलीबारी जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. छोटे-छोटे आपराधिक गिरोहों की सक्रियता पुलिस और प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर रही है, जिस पर काबू पाना जरूरी है, ताकि राज्य में पूरी तरह से शांति व्यस्था और सुरक्षा स्थापित हो सके.

 

नक्सल प्रभावित जिलों में आई कमी 

झारखंड में नक्सलवाद की समस्या 95 प्रतिशत तक खत्म हो चुकी है. फिलहाल राज्य में सिर्फ पांच जिले (गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम) ही नक्सल प्रभावित रह गए हैं. पूरे देश के पांच राज्यों के 12 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में झारखंड का सिर्फ एक जिला पश्चिमी सिंहभूम शामिल है. 

Follow us on WhatsApp