New Delhi : जुलाई 2020, जब कोरोना महामारी चरम पर थी और देश भर के लाखों लोगों की आजीविका बाधित थी, झारखंड सरकार ने लगभग 10 लाख पात्र विधवाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को पेंशन का भुगतान रोक दिया था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर मामले का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है.
पैसों को लेकर केंद्र और राज्य में था विवाद
एनएचआरसी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि केंद्र और झारखंड सरकार के बीच पैसों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. इस कारण राज्य में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन और कोविड राहत भुगतान सहित विभिन्न योजनाओं के लाभुकों को वित्तीय सहायता से या तो वंचित किया गया अथवा भुगतान करने में देर की गयी.
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मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला
मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए आयोग ने आगे कहा है कि यदि ये रिपोर्ट सही हैं तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला है. आयोग ने झारखंड सरकार और राष्ट्रीय श्रम एवं अधिकारिता मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए चिंता व्यक्त की है कि किसी खास मद के लिए केंद्र से प्राप्त धन का कथित रूप से दूसरे मद में कैसे उपयोग कर लिया जाता है. इससे गरीब तबके के जीने की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी होती है. आयोग ने लाभार्थियों और विभिन्न श्रेणियों के तहत वास्तव में पेंशन लेनेवालों के बीच की बड़ी खाई पर गहरी चिंता जाहिर की है. आयोग ने छह सप्ताह में झारखंड सरकार और श्रम मंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
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लातेहार के गरीब किसान की खबर पर लिया संज्ञान
मीडिया रिपोर्टों में लातेहार के उकमार गांव के अल्प आयवाले एक बासठ वर्षीय किसान के मामले पर प्रकाश डाला गया था. जिसे अपने अस्पताल के बिल का भुगतान करने के लिए रिश्तेदारों से 10 हजार रुपये उधार लेना पड़ा था. जुलाई, 2020 में उसका पांव टूट गया था. वरिष्ठ नागरिकों के लिए केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत तहत उसे प्रतिमाह 1000 रुपये मिलने थे. लेकिन पांव टूटने के पांच माह बाद तक उसे एक भी पैसा नहीं मिला.
पात्र लाभुकों और वास्तविक पेंशन पाने वालों में भारी अंतर
02 मार्च, 2021 की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी योजना के अनुसार जरूरतमंदों को वित्तीय सहायता नहीं देने का यह एकमात्र मामला नहीं है. देश के तीन करोड़ वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और विकलांग लोगों को उनकी नियमित पेंशन के अतिरिक्त दो किस्तों में 1000 रुपये का भुगतान किया जाना था. लेकिन, झारखंड सरकार के एक अधिकारी ने दावा किया है कि साल के अंत तक केंद्र से COVID-19 योजना के लिए कोई बजटीय आवंटन नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार को COVID राहत भुगतान के लिए अपने मौजूदा पेंशन फंड को इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा. गौरतलब है कि झारखंड में लंबे समय से जारी विरोध के बावजूद पात्र लोगों को पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. वास्तविक पेंशन पानेवालों और सूचीबद्ध लोगों के बीच लगभग 64 प्रतिशत का भारी अंतर है.
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