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40 हजार करोड़ खर्च के बाद भी नहीं सुधरी झारखंड की बिजली व्यवस्था

Ranchi: झारखंड की बिजली व्यवस्था कमजोर बुनियाद पर टिकी हुई है. बिजली का नेटवर्क इतना कमजोर है कि गर्मी में लोड बढ़ने से ट्रांसफॉर्मर जल जाते हैं. बरसात में लाइन ब्रेकडाउन हो जाता है. ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति सबसे ज्यादा प्रभावित होती है, जहां कई बार 5 से 15 दिनों तक बिजली गुल रहती है. बिजली की उपलब्धता के बावजूद निर्बाध आपूर्ति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. राज्य सरकार द्वारा बिजली नेटवर्क को मजबूत करने के लिए हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बिजली व्यवस्था चरमरा जाती है. राज्य गठन से लेकर अब तक बिजली नेटवर्क मजबूत करने में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. 24 घंटे बिजली देने का दावा कागजों पर झारखंड बिजली वितरण निगम बाहर से महंगी दरों पर अतिरिक्त बिजली खरीदता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी जिले में 24 घंटे निर्बाध बिजली नहीं पहुंच पा रही है. शहरी क्षेत्रों में 20-22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 16-18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली 8-10 घंटे भी सही से नहीं मिल पा रही है. पिछले 7 साल में 10 हजार करोड़ रुपये आधारभूत संरचना पर खर्च किए गए हैं, लेकिन बिजली की आपूर्ति अभी भी संतोषजनक नहीं है. बिजली वितरण निगम का दावा भी फेल झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने दावा किया था कि राजधानी रांची में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी. 15 मार्च तक ग्रिड मेनटेनेंश का काम पूरा कर लिया जाएगा. रांची में लगभग 400 मेगावाट तक की मांग पूरी की जाएगी. बिजली वितरण निगम वित्तीय वर्ष 2025-26 में बिजली खरीद पर 9285.68 करोड़ रुपए खर्च करेगा. इसमें सोलर व पवन ऊर्जा सहित 10 पावर जेनरेशन कंपनियों से 8221.69 करोड़ की बिजली खरीदेगा, जबकि पीजीसीआइएल, पोस्को और झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के लाइन से बिजली लेने पर ट्रांसमिशन चार्ज के रूप में 1063.98 करोड़ रुपए खर्च करेगा. जानिए कितने हुए राज्य गठन के बाद से अब तक खर्च - झारखंड संपूर्ण बिजली आच्छादन योजनाः 3430 करोड़ रुपये - सौभाग्य योजनाः 472 करोड़ रुपये - दीनदयाल ग्राम ज्योति योजनाः 5500 करोड़ रुपये - वर्ष 2001 से 2025 तक बिजली नेटवर्क विस्तार पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक वादे हैं वादों का क्या - 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, तब जीरो कट पावर देने की बात कही गई थी, तब से हर वर्ष यही बात दोहराई जाती है, लेकिन अभी तक लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है. अब तक क्या हुआ डेवलपमेंट - 11 लाख 41 हजार उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया. - लागत: 472 करोड़ रुपये - 25,000 गांवों में बिजली की आधारभूत संरचना का विकास. - 25 केवीए के 55,000 ट्रांसफॉर्मर लगाए गए. झारखंड संपूर्ण बिजली आच्छादन योजना - 117 में से 112 सब स्टेशन पूरे हुए - 196 पुराने सब स्टेशन का जीर्णोद्धार - 2,192.43 सर्किट किमी में से 2,169.59 किमी 33 केवी नयी लाइन का निर्माण - 1,602.80 सर्किट किमी लाइन बदली गई - 6,447 नये वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाए गए - 1,207 खराब वितरण ट्रांसफॉर्मर बदले गए - 8,316.65 सर्किट किमी नयी एलटी लाइन और एबी केबल बिछाए गए बिजली वितरण नेटवर्क - एरिया बोर्ड: 7 - सर्किल: 15 - डिविजन: 44 - 33/11 केवी पावर सब स्टेशन: 552 - पावर ट्रांसफॉर्मर: 74,186 - 33 केवी फीडर: 738 - 33 केवी लाइन की लंबाई: 12,000 किमी - 11 केवी फीडर: 1,821 - 11 केवी लाइन की लंबाई: 75,146.8 सर्किट किमी - ट्रांसफॉर्मर: - 73 केवीए: 55,689 - 25 केवीए: 78,662 - 100 से 500 केवीए: 1,34,349 - एलटी लाइन: 1,57,129.4 किमी - एबी केबल एलटी लाइन: 71,000 किमी - ग्रिड सब स्टेशन: 57 आरडीएसएस योजना के तहत बिजली नेटवर्क विस्तार - 3132 करोड़ रुपये की लागत से बिजली नेटवर्क का विस्तार - 24 जिलों में बेहतर बिजली नेटवर्क स्थापित करने का लक्ष्य - 13 लाख 41 हजार 306 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे - ग्रामीण क्षेत्रों में 72 नये कृषि फीडर बनाए जाएंगे - शहरी क्षेत्र की 11 केवी लाइन को कवर्ड किया जाएगा - 25,516 सर्किट किमी कवर्ड वायर लगाए जाएंगे क्या है आगे की योजना - लो वोल्टेज और लाइन लॉस की समस्या कम करने के लिए लंबे फीडरों को छोटा किया जाएगा - इससे बिजली की गुणवत्ता में सुधार होगा - 5,395 नये ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे - हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत तार बदलकर वोल्टेज सही किए जाएंगे - कैपिसीटर, वीसीबी, एबी स्विच जैसे उपकरणों की कमी दूर की जाएगी इसे भी पढ़ें- पहलगाम">https://lagatar.in/unsc-strongly-condemns-pahalgam-terrorist-attack-appeals-to-all-countries-for-cooperation/">पहलगाम

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