- केंद्र सरकार से 21 जून तक वैक्सीनेशन कैलेंडर जारी करने की मांग
- वैक्सीन के नाम कंपनियों को दी गई राशि लौटाये केंद्र सरकार
Ranchi: केंद्र सरकार के निःशुल्क वैक्सीन देने, 25 फीसदी वैक्सीन सीधे प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा खरीदे जाने और मुफ्त अनाज देने की घोषणा पर जेएमएम ने सवाल उठाया है. पार्टी ने कहा है कि जब केंद्र ने कई विकास योजनाओं की राशि मद में से कटौती करके वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, तो आज ऐसी परिस्थिति क्यों हो रही है. केंद्र की नीति पर सवाल उठाते हुए जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र से वैक्सीनेशन कैलेडंर जारी करने और वैक्सीनेशन के नाम पर बीते 20 अप्रैल से 7 जून के मध्य कंपनियों द्वारा राज्यों से ली गयी राशि को लौटाने की मांग भी केंद्र सरकार से की है.
जेएमएम नेता ने कहा कि जब केंद्र ने टीकाकरण को लेकर 35000 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया हुआ है, तो निःशुल्क वैक्सीन देने के फैसले में इतनी देर से क्यों. यह सभी जानते हैं कि महामारी में कोई भी राज्य सरकार ग्लोबल टेंडर से भी कोई सामान नहीं खरीद सकती है. केंद्र ने फिर भी ग्लोबल टेंडर की बात की, जो ऐसी विपदा में संभव नहीं था. सुप्रियो ने कहा कि 31 मई को सीएम हेमंत सोरेन ने भी पत्र लिखकर इन्हीं बातों का जिक्र किया था. फिर भी केंद्र सरकार टस से मस नहीं हुई. अपनी बातों पर वह अड़ी रही.
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सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब टीकाकरण का राष्ट्रीयकरण होना है, तो 25 प्रतिशत वैक्सीन निजी हॉस्पिटल को क्यों देना पड़ रहा है. प्राइवेट हॉस्पिटल को यह भी छूट दिया गया है कि सर्विस चार्ज 150 रुपये होगा, लेकिन वैक्सीन चार्ज कितना होगा, इसकी जानकारी केंद्र द्वारा नहीं दी जा रही है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिम है. सुप्रियो ने कहा कि देश के 25 प्रतिशत लोग अभी भी ऐसे हॉस्पिटलों पर वैक्सीन के लिए निर्भर रहेंगे.
केंद्र सरकार गरीबों को मुफ्त अनाज देने की घोषणा पर भी जेएमएम ने सवाल उठाया है. सुप्रियो ने कहा है कि यूपीए-2 में बनाये गये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून- 2013 के तहत केंद्र को ऐसा करना वैधानिक बाध्यता है. केंद्र को इस आपदा में भी ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए.
जेएमएम की मांग है कि केंद्र 21 जून से पहले वैक्सीनेशन का कैलेंडर जारी करे. कैलेंडर में हर राज्य का नाम, वैक्सीन लेने वालों की संख्या, कितने डोज मिल रहे है,उसका भी ब्योरा होना चाहिए. ऐसा होने से वैक्सीन को लेकर लोगों को सही जानकारी मिल सकेगी. केंद्र से यह अपील है कि 20 अप्रैल से 7 जून के मध्य राज्यों से जितनी राशि वैक्सीन के नाम पर कंपनियों द्वारा ली गयी है, वह भी लौटा दिया जाए. क्योंकि टीकाकरण के लिए केंद्र के पास करीब 35,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान है. अगर यह राशि लौटायी जाती है तो यह राजकोषीय घाटे की भरपाई करने में सहायक साबित होगी.