New Delhi : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 में शुरू की गयी प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी है. आज शुक्रवार को कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 के उद्घाटन के बाद सीतारमण यह बात कही. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Delhi: At the inaugural session of the Kautilya Economic Conclave 2023, Finance Minister Nirmala Sitharaman says, “Globally, we don’t need to hesitate any longer to say that the multilateral institutions… whether it is the UN, Security Council or the WHO, WTO are less… pic.twitter.com/LawewkXRHH
— ANI (@ANI) October 20, 2023
#WATCH | Delhi: At the inaugural session of the Kautilya Economic Conclave 2023, RBI Governor Shaktikanta Das says, “The global economy is now facing a tirade of challenges. First, slow moderation in inflation, which is getting interrupted by recurring and overlapping shocks.… pic.twitter.com/0OmLgTdq5Z
— ANI (@ANI) October 20, 2023
लोगों के एक वर्ग ने भद्दी टिप्पणियां की थीं
वित्त मंत्री ने कहा, 50 से अधिक सरकारी योजनाओं के तहत लाभ (राशि) सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किये जा रहे हैं और पीएमजेडीवाई ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि जब योजना शुरू की गयी थी तो लोगों के एक वर्ग ने भद्दी टिप्पणियां की थीं और कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक दबाव में होंगे क्योंकि ये जीरो बैलेंस वाले खाते हैं. सीतारमण ने कहा कि हालांकि, इन खातों में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि है.
वैश्विक आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित किया
मंत्री ने कॉन्क्लेव में जलवायु वित्तपोषण और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी विस्तार से बात की. साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक स्थिति में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) सहित बहुपक्षीय संस्थान कम प्रभावी हो गये हैं. इस क्रम में सीतारमण ने वैश्विक आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों को भी रेखांकित करते हुए जोर दिया कि निवेशकों तथा व्यवसायों को निवेश संबंधी फैसले करते समय ऐसे कारकों को ध्यान में रखना होगा.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कर्ज की स्थिति को लेकर सचेत है.कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय प्रबंधन किया गया है कि आने वाली पीढ़ी पर बोझ न पड़े.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति पर बात रखी
कार्यक्रम में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति पर बात रखी. कहा कि नीति सक्रिय रूप से मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने वाली होना चाहिए. उन्होंने उदाहरण दिया कि इसके कारण ही जुलाई में 7.44 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से मुद्रास्फीति में गिरावट सुचारू रूप से जारी रही. उन्होंने कहा कि मूल्य स्थिरता तथा वित्तीय स्थिरता एक-दूसरे के पूरक हैं और आरबीआई ने दोनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने का प्रयास किया है.
रिजर्व बैंक ने फरवरी में नीतिगत दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की
सब्जियों तथा ईंधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में सालाना आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत आ गयी है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 6.83 प्रतिशत और सितंबर 2022 में 7.41 प्रतिशत थी. जुलाई में मुद्रास्फीति 7.44 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी. मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी में नीतिगत दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम का सामना कर रही है
इससे पहले, पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी. गवर्नर ने कहा, डिजिटल भुगतान से मौद्रिक नीति का असर तेजी से और प्रभावी रूप से दिखने लगा है. शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों मुद्रास्फीति, धीमी वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम का सामना कर रही है.
घरेलू वित्तीय क्षेत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक तनाव की स्थिति के दौरान भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगे. दास ने कहा कि भारत वैश्विक वृद्धि का नया इंजन बनने के लिए तैयार है और मार्च 2024 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
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