Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिले के 18 प्रखंडों में 1303 सरकारी विद्यालय हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है और शिक्षा का स्तर भी ठीक नहीं है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आखिर गुणवतापूर्ण शिक्षा कैसे दी जाए और शिक्षा के स्तर में सुधार कैसे होगा, यह सवाल वर्षों से केन्द्र व राज्य सरकार के सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों व उनके अभिभावकों के सामने भी यह यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है.
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स्कूलों में शिक्षक नियमित नहीं आते लेकिन वेतन पूरा उठाते हैं
जिले के सभी विद्यालय शिक्षक-शिक्षिकाओं की भारी कमी, आधारभूत संरचना आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं. विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक-शिक्षिकायें समय पर और नियमित स्कूल पढ़ाने नहीं जाते हैं. विभिन्न प्रखंडों के सुदूरवर्ती गांवों के स्कूलों में शिक्षा का हाल और भी बुरा है. ऐसे स्कूलों की जांच के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं जाते हैं. इसका लाभ सरकारी शिक्षक उठाते हैं. वे स्कूल से गायब रह कर अपनी हाजिरी बना वेतन उठाते रहते हैं.
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कक्षा एक से 8वीं तक बच्चों की संख्या 183540
उल्लेखनीय है कि पश्चिम सिंहभूम के 18 प्रखंडों में वर्ग 1 से 8वीं तक के सरकारी स्कूलों की संख्या 1303 है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की कुल संख्या 183540 है. इन स्कूलों में पढ़ाने के लिये स्वीकृत शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या 4626 है, जबकि वर्तमान में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या मात्र 2672 है. इतने कम शिक्षक-शिक्षिकाओं के भरोसे बच्चों को गुणवता पूर्ण शिक्षा कैसे मिलेगी. सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की संख्या 50 से 100 के बीच है, लेकिन वहां स्वीकृत 2 या 3 शिक्षक में सिर्फ एक शिक्षक पदस्थापित हैं. वह भी महीना में 10 दिन विभागीय व अन्य कार्य का बहाना बनाकर गायब रहते हैं.
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संविधान में 86वां संशोधन कर शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया
दिसम्बर 2002 में संविधान में 86वां संशोधन किया गया था. इसके अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया. इस अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया गया. ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ा जाये. शिक्षा के जरिये बच्चे चरित्र निर्माण कर और बेहतर ज्ञान प्राप्त कर जीविकोपार्जन का संसाधन भी तलाश कर सकें.
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सभी बच्चों को आवासीय स्कूल में डाल शिक्षा व भोजन दे सरकार
सरकार के सामने हमेशा से यह चुनौती बनी रही है कि जहां-जहां खनिज व वन संपदा का अकूत भंडार है, वह क्षेत्र विकास के सभी मामलों में सबसे ज्यादा पिछड़ा रहा है. ऐसे क्षेत्र अपराधियों व नक्सलियों की हमेशा से शरणस्थली रहा है. क्योंकि यहां के जंगल व पहाड़ नक्सलियों को छिपने में मदद करते हैं. वहीं खनिज सम्पदा के कारोबार से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये लेवी की वसूली होती हैं. ऐसे पिछडे़ व अशिक्षित क्षेत्र के बच्चों व युवाओं को नक्सली गुमराह कर उन्हें हथियार पकड़ा सरकार व सरकारी व्यवस्था के खिलाफ चुनौती पेश करते रहे हैं. सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है कि वह नक्सल प्रभावित ऐसे क्षेत्रों के छह वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को सरकारी आवासीय विद्यालय में शिक्षा व भोजन की सुविधा उपलब्ध करा उन्हें बेहतर इंसान बनायें. इससे नक्सलियों को नये युवा कैडर नहीं मिल सकें. भविष्य में कैडर विहिन होकर नक्सल समस्या स्वतः समाप्त हो जाये.
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हर प्रखंड में सरकार 12वीं तक के लिए आवासीय विद्यालय खोले
दुर्भाग्य की बात है कि सरकार ने इस दिशा में आज तक कार्य नहीं किया. सरकार यह भी कर सकती थी, अथवा है कि वह सुदूरवर्ती गांवों के कुछ स्कूलों को बंद कर उसकी जगह नेतरहाट की तर्ज पर हर प्रखंड में 12वीं तक की आवासीय विद्यालय खोल दे. यहां गरीब बच्चों को शत-प्रतिशत रखकर उच्च शिक्षा मुहैया कराये. ऐसे विद्यालयों में जब 1200-1500 छात्र-छात्राओं के लिये एक साथ पढ़ने की सुविधा होगी तो गांव में अनेक स्कूलों को खोलकर रखने का कोई औचित्य नहीं होगा. शिक्षक-शिक्षिकाओं की कमी से भी मुक्ति मिलेगी.
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18 प्रखंडों के विद्यालयों में शिक्षकों व बच्चों का आंकड़ा
1. मनोहरपुर प्रखंड के कुल 89 स्कूलों में स्वीकृत शिक्षकों की संख्या- 287 में 179 शिक्षक ही पदस्थापित हैं. बच्चों की कुल संख्या 11278 है.
2. नोवामुंडी प्रखंड में 73 स्कूलों में 317 शिक्षक-शिक्षिकाओं की जगह 146 हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 14765 है.
3. चाईबासा सदर प्रखंड के 84 स्कूलों में 332 शिक्षक-शिक्षिकाओं की जगह 200 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 11259 है.
4. सोनुआ प्रखंड के 69 स्कूलों में 232 की जगह 166 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 9989 है.
5. तांतनगर प्रखंड के 61 स्कूलों में 233 की जगह 129 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 8569 है
6. टोंटो प्रखंड के 73 स्कूलों में 235 की जगह 130 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या- 8939 है.
7. मंझारी प्रखंड के 59 स्कूलों में 225 की जगह 121 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 9609 है.
8. मझगांव प्रखंड के 59 स्कूलों में 254 की जगह 112 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 11301 है.
9. कुमारडुंगी प्रखंड के कुल 52 स्कूलों में 189 की जगह 95 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 9179 है.
10. खूंटपानी प्रखंड के 83 स्कूलों में 292 की जगह 185 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 10789 है.
11. झींकपानी प्रखंड के कुल 31 स्कूलों में 149 की जगह 86 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहाँ बच्चों की कुल संख्या 5579 है.
12. जगन्नाथपुर प्रखंड के कुल 69 स्कूलों में 310 की जगह 156 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 12735 है.
13. हाटगम्हरिया प्रखंड के कुल 57 स्कूलों में 238 की जगह 140 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 9856 है.
14. गुदड़ी प्रखंड के कुल 47 स्कूलों में 125 की जगह 79 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 4497 है.
15. गोईलकेरा प्रखंड के कुल 80 स्कूलों में 261 की जगह 156 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 12857 है.
16. चक्रधरपुर प्रखंड के 152 स्कूलों में 526 की जगह 313 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 18290 है.
17. बंदगांव प्रखंड के कुल 104 स्कूलों में 267 की जगह 187 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 911 है.
18. आनंदपुर प्रखंड के कुल 61 स्कूलों में 154 की जगह 92 शिक्षक-शिक्षिकायें हैं. यहां बच्चों की कुल संख्या 4938 है.
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