Kiriburu (Shailesh Singh) : जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) के गठन का मुख्य उद्देश्य खनन से प्रभावित गांवों एवं ग्रामीण समुदाय का विकास करना था. लेकिन अब तक गांव का विकास नहीं हो पाया है. योजनाएं धरातल पर क्यों नहीं उतरती? डीएमएफटी फंड से विकास हेतु जो योजनाएं बनाई जाती है उस कमेटी में क्या प्रभावित गांवों के मानकी-मुण्डाओं, पंचायत प्रतिनिधियों को कभी शामिल किया गया? ऐसे कई सवाल प्रभावित गांवों के मानकी-मुण्डाओं व पंचायत प्रतिनिधि जिला प्रशासन से कर रहे हैं. इस बार भी डीएमएफटी फंड के इस्तेमाल को लेकर व्यापक पैमाने पर ग्राम सभा आयोजित करने की तैयारी चल रही है. लेकिन हर बार फंड का सही इस्तेमाल नहीं होने से पंचायत प्रतिनिधि असंतुष्ट है. किरीबुरू पश्चिम पंचायत की मुखिया पार्वती किड़ो ने इस पर कहा कि उन्होंने कई योजनाओं को ग्राम सभा में पारित कर भेजा. हर बार यहीं कहा जाता है कि आपकी योजना स्वीकृत हो गई है, जल्द ही कार्य प्रारम्भ होगा लेकिन कार्य नहीं होता है. अब तो उन्हें ऐसे कार्यक्रमों व ग्राम सभा में शामिल होने का उनका मन भी नहीं करता. दुर्भाग्य की बात है कि किरीबुरू पूर्वी व पश्चिमी, मेघाहातुबुरु उत्तरी व दक्षिणी पंचायत का अपना पंचायत भवन भी आजतक नहीं बन पाया है.
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प्रशासनिक अमले के दौरे के बाद भी नतीजा शून्य
गंगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल ने कहा कि ग्राम सभा करने का फायदा क्या, जब योजनाएं धरातल पर उतरे ही नहीं. कई योजनाओं का चयन कर भेजा गया लेकिन कार्य नहीं हुआ. यह ग्राम सभा एक दिखावा है जो डीएमएफटी फंड की लूट के लिए किया जाता है. डीएमएफटी फंड से प्रभावित गांवों का विकास वास्तव में करना है तो पंचायत में प्रशासन आकर ग्रामीणों से योजनाओं का चयन कराए एवं ग्राम सभा करा ऑन द स्पॉट योजनाओं की स्वीकृति देने का कार्य करे. इधर, रांगरिंग, नुईयागड़ा, बोड़दाभठ्ठी के मुंडा व ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में कोल्हान आयुक्त, उपायुक्त, डीआईजी, एसपी, डीएफओ आदि तमाम प्रशासनिक अमला मुख्यमंत्री के आदेश पर दो बार आ चुके है. उन्होंने समस्याएं भी सुनी एवं अनेक योजनाएं प्रारंभ करने का आदेश दिया. लेकिन रिजल्ट शून्य रहा.
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