![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/WEB-BANNER-021.jpg)
- नक्सली अब एक जगह टिक नहीं पा रहे, लगातार जारी है पुलिस का सर्च अभियान
Kiriburu (Shailesh Singh) : भाकपा माओवादी नक्सलियों का गढ़ अथवा शरणस्थली वर्ष 2003-04 से ही सारंडा के छोटानागरा स्थित दोलाईगढ़ा व आसपास का जंगल रहा है. इसी जंगल में 17 जुलाई की सुबह लगभग साढे़ पांच बजे पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें नक्सली बाल-बाल बच गये. पुलिस ने नक्सलियों के कई हथियार, गोली आदि बरामद किये. अभी भी पुलिस व सीआरपीएफ पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन चला रही है. उल्लेखनीय है कि दोलाईगढ़ा घने जंगलों व ऊंची- नीची पहाड़ियों में स्थित है. यहां की भौगोलिक स्थिति नक्सलियों को हमेशा छुपने में मददगार रही है. यहां जंगल को काटकर बाहर से आये लगभग 20-22 परिवार वर्षों से निवास करते हैं. सिर्फ दोलाईगढ़ा ही नहीं, बल्कि सारंडा व कोल्हान जंगल के दर्जनों इन्क्रोचमेंट गांव नक्सलियों का शरणस्थली व मददगार रहे हैं, क्योंकि ऐसे ही अवैध गांवों को वन विभाग द्वारा खाली करने व उजाड़ने से बचाने हेतु नक्सलियों को यहां वर्ष 2001 में बुलाया गया था. ऐसे गांवों को नक्सली आर्थिक व शारीरिक मदद भी करते रहे हैं. इस गांव व जंगल क्षेत्र में दोलाईगढ़ा को छोड़ दूसरे गांवों के लोगों को (नक्सल सहयोगी को छोड़) आवागमन की इजाजत नहीं है.
इसे भी पढ़ें : Kiriburu : वन विभाग ने बाहरी पर्यटकों के सारंडा घूमने पर लगायी अस्थायी रोक
![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/Naxali-Hathiyar-1.jpg)
दोलाईगढ़ा के नजदीक के गांवों में होलोंगउली, बालिबा, उसरुईया, कोलाईबुरु, मारंगपोंगा , हतनाबुरु, थोलकोबाद है. यह सभी गांव अत्यंत नक्सल प्रभावित तथा 25 लाख रुपये का इनामी कुख्यात नक्सली लालचंद हेम्ब्रम उर्फ अनमोल दा उर्फ समर दा उर्फ सुशांत के प्रभाव वाला गांव है. नक्सली सारंडा से कोल्हान जंगल में भागने के बावजूद हमेशा सारंडा के इसी जंगल में आकर लंबे दिनों तक शरण लेते रहते थे. नक्सलियों की सारंडा स्थित इस सुरक्षित जोन को खत्म करने के लिए ही पुलिस ने बालिबा व कोलाईबुरु गांव के बीच जंगल में तथा तिरिलपोशी में एक स्थायी कैंप कुछ माह पूर्व स्थापित किया था. इसका लाभ भी पुलिस को मिलने लगा है. कैंप स्थापित होने के बाद दो बार इस क्षेत्र में नक्सलियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो चुकी है.
इसे भी पढ़ें : Chandil : 108 महिलाएं वामनी नदी से कलश में जल लेकर पहुंची मंदिर
![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/Naxali-Hathiyar-2.jpg)
पिछले दिनों लिपुंगा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में पांच नक्सली मारे गये तथा दो पकड़े गये थे. इसमें से कांडे होनहागा थोलकोबाद के दिवेन्द्री टोला तथा महिला नक्सली सपनी हांसदा तथा गिरफ्तार उसका पति पांडू हांसदा हतनाबुरु गांव का निवासी था. संभावना जताई जा रही है कि दोनों मृतक नक्सली के परिवार के सदस्यों के साथ यह दस्ता मिलने वाला था. यह टीम कुछ दिन पूर्व ही होंजोरदिरी गांव क्षेत्र के रास्ते वहां पहुंचा था. इस टीम द्वारा ही मेघाहातुबुरु, करमपदा, होंजोरदिरी आदि क्षेत्र में नक्सल बंद से पूर्व पोस्टर-बैनर लगाया गया था.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : जेपी आंदोलन में शहीद छात्रों को बसंत सिनेमा चौक पर दी श्रद्धांजलि
अनमोल दा सारंडा की तमाम भौगोलिक स्थिति व हर गांव व वहां के ग्रामीणों से परिचित हैं. यह कहा जा सकता है कि वह सारंडा में ही सामान्य सदस्य से झारखंड रीजनल कमिटी का प्रवक्ता तथा एसडीएस जोनल कमिटी के उच्च पद पर रहा. वह बालिबा, कलैता, बिटकिलसोय में पुलिस पर हमला कर 50 से अधिक जवानों को शहीद करने, बड़ाजामदा थाना लूटकांड, छोटानागरा कैंप पर हमला समेत दर्जनों नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है. वह युद्ध रणनीति में काफी माहिर है. हालांकि अब उसका भी आधार इलाका व जनाधार सारंडा में काफी घटा है. इस कारण वह अपने दस्ता के साथ सुरक्षित एक स्थान पर टिक नहीं पा रहा है. पुलिस के लिये दोलाईगढ़ा का मुठभेड़ बड़ी सफलता मानी जा रही है.
![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/neta.jpg)
Leave a Reply