NewDelhi/Ranchi : पीएम मोदी ने आज रविवार, 27 दिसंबर को जनता से अपने मन की बात कही. पीएम मोदी के मन की बात में झारखंड का जिक्र आना खास रहा. मोदी ने झारखंड के गढ़वा निवासी हीरामन कोरवा द्वारा विलुप्त होती आदिम जनजाति कोरवा भाषा के संरक्षण की कोशिश किये जाने की सराहना की. जान लें कि हीरामन कोरवा ने कोरवा भाषा शब्दकोश को लिपिबद्ध किया है. हीरामन पेशे से पारा शिक्षक हैं.
इस क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरवा जनजाति की आबादी केवल 6000 है, जो शहरों से दूर पहाड़ियों और जंगलों में रहती है. हीरामन ने कोरवा जनजाति की संस्कृति और पहचान को संरक्षित करने का काम किया है. इसकी सराहना होनी चाहिए. हीरामन ने 12 साल के भगीरथ प्रयास से कोरवा भाषा का शब्दकोष बनाया है
After untiring hard work of 12 years, Hiraman Ji of Korwa tribe from Jharkhand has prepared a dictionary of Korwa language, nearing extinction. He has included numerous words used in daily life. What he has accomplished for Korwa tribe, is an example for the country: PM Modi pic.twitter.com/J9xzTrJneH
— ANI (@ANI) December 27, 2020
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समाज के लोग कोरवा भाषा को भूलने लगे
इस संबंध में हीरामन कोरवा का कहना है कि भाषा वह साधन है, जिसके जरिए सभी अपने विचारों को व्यक्त किया जा सकता है. इसके लिए लोग वाचिक ध्वनियों का इस्तेमाल करते हैं और यह अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है. शिक्षक हीरामन के अनुसार समय के साथ समाज के लोग कोरवा भाषा को भूलने लगे हैं.
यह बात उन्हें बचपन से महसूस हो रही थी.. जब उन्होंने होश संभाला तभी से उन्होंने कोरवा भाषाओं को एक डायरी में लिपिबद्ध करने का काम शुरू कर दिया. आर्थिक तंगी के कारण 12 साल तक यह शब्दकोश डायरियों में सिमटे रहे. बाद में आदिम जनजाति कल्याण केंद्र गढ़वा और पलामू के मल्टी आर्ट एसोसिएशन के सहयोग से कोरवा भाषा शब्दकोश छपा.
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शब्दकोष में पशु-पक्षियों से लेकर सब्जी, रंग, दिन, महीना का जिक्र
अपनी भाषा को संरक्षित करने के लिए गढ़वा के सुदूरवर्ती सिंजो गांव निवासी हीरामन कोरवा ने 12 साल के परिश्रम से कोरवा भाषा शब्दकोश को लिपिबद्ध किया है. 50 पन्नों के शब्दकोष में पशु-पक्षियों से लेकर सब्जी, रंग, दिन, महीना, घर गृहस्थी से जुड़े शब्द, खाद्य पदार्थ, अनाज, पोशाक, फल सहित अन्य कोरवा भाषा के शब्द और उनके अर्थ शामिल किये गये हैं.