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जमीन घोटाला : ED जांच को प्रभावित करने के लिए घूसखोरी बन रहा हथियार

Ranchi: जमीन घोटाले की जांच को प्रभावित करने के लिए थाना में दर्ज घूसखोरी के मामले को हथियार बनाया जा रहा है. इस मामले में ईडी के अफसरों को फंसाने के लिए जबरन सबूत तैयार किया जा रहा है. ईडी ने मामले की सीबीआई जांच से जुड़ी अपनी याचिका में दायर शपथ पत्र में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.
ईडी की ओर से दायर शपथ पत्र में कहा गया है कि थाने में दर्ज प्राथमिकी संख्या 507/24 और 508/24 को ईडी के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. घूसखोरी के आरोप में दर्ज मामले में ईडी के अफसरों को फंसाने के लिए जबरन सबूत तैयार किया जा रहा है.
इसके लिए पुलिस ने दोनों ही प्राथमिकी के शिकायतकर्ताओं को अवैध तरीके से हिरासत में रखा और ईडी के अफसरों के खिलाफ जबरन बयान दिलवाया. पीएमएलए की धारा 50 के तहत दिये गये बयान में संजीव कुमार पांडेय और सुजीत कुमार ने यह बात स्वीकार की है.
शपथ पत्र में कहा गया है कि पुलिस ने संजीव कुमार पांडेय को 5-10-2024 से 17-10-2024 तक गलत तरीके से हिरासत में रखा. सुजीत कुमार को भी 6-10-2024 से 17-10-2024 तक गलत तरीके से हिरासत में रखा. गलत तरीके से रखे गये हिरासत की अवधि में इन्हें अलग-अलग थानों में ले जाया गया. गलत तरीके से हिरासत में रखने की घटना को छुपाने के लिए फर्जी सबूत जुटाने की कोशिश की गयी.
इसके लिए संजीव कुमार को देर रात इधर उधर ले जाकर फोन करवा कर पुलिस के कब्जे में नहीं होने से संबंधित सबूत जुटाने की कोशिश की गयी. एसएसपी चंदन सिन्हा और पंडरा के प्रभारी मनीष कुमार ने एक डायरी में सुजीत को लेनदेन का फर्जी ब्योरा लिखने के लिए मजबूर किया. इसके बाद इस डायरी को सुजीत के स्कॉर्पियो से 9-10-2024 को जब्त दिखाया गया.कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस अधिकारियों ने थानों के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित नहीं रखा.
ईडी के खिलाफ एससी,एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में कोर्ट ने पीड़क कार्रवाई करने पर पाबंदी लगा रखी है. इसके बावजूद ईडी के अफसरों को समन भेज कर परेशान किया जा रहा है, ताकि जांच को प्रभावित किया जा सके. ईडी ने इन परिस्थितियों को देखते हुए पंडरा ओपी में दर्ज दोनों प्राथमिकी की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया है.
उल्लेखनीय है कि 24 अप्रैल को ईडी की याचिका पर सुनवाई निर्धारित थी. लेकिन सरकार की ओर से ईडी के आरोपों का जवाब देने के लिए समय की मांग की गयी. जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया.
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