- भविष्य में लाखों की जमीन खरीदकर स्लम में रहने को मजबूर होंगे
- नियम विरुद्ध प्लॉटिंग कर जमीन बेच रहे हैं डेवलपर्स
Pravin Kumar/ Satya Sharan Mishra Ranchi: रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) के क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री में
बड़े पैमाने पर
धोखाधड़ी हुई
है. इसमें मास्टर प्लान और ले-आउट संबंधी
गड़बड़ियां तो हुई ही हैं, प्लॉटिंग में आरआरडीए एक्ट 2001 और झारखंड बिल्डिंग बायलॉज का भी उल्लंघन किया गया
है. नियम- कानून को ताक पर रखकर आउटर रांची में 2 दर्जन से ज्यादा नयी हाउसिंग सोसाइटी
बसायी जा रही
हैं. ये सभी आरआरडीए के
रडार में
हैं. इन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया और प्लॉट के सामने आरआरडीए ने अपना बोर्ड भी लगाकर जनहित में सूचना जारी की है कि प्लॉट पर अवैध कंस्ट्रक्शन हो रहा
है. इसके बाद भी बिल्डर्स और जमीन माफिया
धड़ल्ले से प्लॉट बेच रहे हैं और लोग खरीद रहे
हैं. लाखों रुपये खर्च कर लोग जमीन खरीद रहे हैं, लेकिन उन्हें मालूम नहीं कि जब हाउसिंग सोसाइटी बस जाएगी, तब उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना
पड़ेगा. आने वाले दिनों में इस हाउसिंग सोसाइटी की स्थिति स्लम बस्तियों की तरह होने वाली
है. क्योंकि संकरी गलियों में लोगों के घरों तक ढंग से धूप और हवा भी नहीं पहुंच
पाएगी. न
बड़ी गाड़ियां पहुंच पाएंगी, न फायरब्रिगेड और न ही एंबुलेंस.
समरगढ़ रिसॉर्ट में संकरी सड़कें छोड़ कर की गई प्लॉटिंग
रांची- हजारीबाग रोड पर
गेतलातू के पास
समरगढ़ रिसॉर्ट बना
है. इसके मालिक संजय राय
हैं. रिसॉर्ट के मेन गेट के अंदर बेतरतीब तरीके से छोटे-छोटे प्लॉट काटे गये
हैं. इन प्लॉट के सामने
सड़क की
चौड़ाई 30 मीटर से कम
है. नगर निगम और आरआरडीए से नक्शा पास कराए बिना प्लॉटिंग की जा रही है, जबकि नियम के मुताबिक
सड़क की
चौड़ाई कम से कम 30 फीट होनी
चाहिए. इस पर संजय राय का कहना है कि उनकी जमीन क्लीन
है. मेन गेट के अंदर अगल-बगल के जिन प्लॉटों की प्लॉटिंग की गई है, वे दूसरे लोगों की
है. कई
रैयतों ने अलग-अलग लोगों को जमीन बेची
है. साईं ग्रीन सिटी में कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध, लेकिन बिल्डर बेचता जा रहा जमीन
रिंग रोड में
चुट्टू में साईं ग्रीन सिटी डेवलप हो रहा
है. करीब 2.5
एकड़ जमीन पर हाउसिंग सोसाइटी बनायी जा रहा
है. करीब 35 लोगों को इसमें से प्लॉट बेचा गया
है. आरआरडीए ने जमीन के बाहर जब अपना बोर्ड लगाया, तो डेवलपर ने साईं ग्रीन सिटी का बोर्ड
उखाड़कर रख
दिया. डेवलपर झूलन श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने सिर्फ 25 डिसमिल जमीन ही बेची है, लेकिन वहां 35 से ज्यादा प्लॉट कटे हुए
हैं. उन पर बाउंड्री भी किया गया
है. वहां मौजूद केयर टेकर ने बताया कि 7 लाख रुपये प्रति डिसमिल वहां जमीन बेची जा रही
है. क्या है आरआरडीए एक्ट और झारखंड बिल्डिंग बायलॉज
- 40 डिसमिल से अधिक जमीन की प्लॉटिंग के लिए आरआरडीए से नक्शा पास कराना जरूरी है.
- सड़क की चौड़ाई कम से कम 30 फीट हो, ताकि घरों तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचे.
- कम्युनिटी हॉल और पब्लिक एमिनिटी से जुड़ी सुविधाओं के लिए अलग से जगह छोड़ा जाए.
- नियमों का उल्लंघन होने पर निगम या आरआरडीए संबंधित भूखंड को सील कर सकते हैं.
- भूखंड को सील करने के बाद रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा संबंधित प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं करने को कहा जाता है.
क्या गड़बड़ कर रहे हैं डेवलपर
- बिना नक्शा पास कराये जमीन की प्लॉटिंग की जा रही है.
- मुख्य सड़क सामने से 30 फीट दिखाते हैं, लेकिन अंदर 10-15 फीट होती है चौड़ाई.
- आरआरडी द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी बेच रहे हैं प्लॉट.
- रोक के बावजूद रजिस्ट्री ऑफिस में सेंटिंग कर जमीन की करा रहे हैं रजिस्ट्री
जमीन खरीदने वालों को भविष्य में होगी ये परेशानी
- आरआरडीए ने प्लॉट सील किया, तो लाखों रुपये डूबेंगे.
- कॉलोनी बसने के बाद घरों तक नहीं पहुंचेंगे वाहन.
- आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुंच पायेगी.
- इमरजेंसी में मरीज को टांगकर मेन रोड तक लाना पड़ेगा.
- संकरी गलियों और सटे घरों में हवा-धूप भी नहीं पहुंचेगी.
- बिल्डर प्लॉट बेचकर गायब हो जाएंगे, भुगतेंगे खरीदार.